हिन्दू विधि के एक स्रोत के रूप में 'भाष्य और निबन्ध' को समझाइये।


 हिन्दू विधि के एक स्रोत के रूप में 'भाष्य एवं निबन्ध' को समझाइये।

भाष्य एवं निबन्ध भी हिन्दू विधि के प्रमुख स्रोत माने जाते हैं। भाष्य वे हैं जिनमें किसी स्मृति विशेष की टीका की गई हो जबकि निबन्ध वे हैं जिनमें किसी प्रकरण विशेष पर अनेक स्मृतियों के वचनों को उध्दत कर उस संबंध में विधि को स्पष्ट किया गया हो। वस्तुतः अर्थान्वयन की दृष्टि में भाष्यकारों एवं निबन्धकारों ने विधि का नव निर्माण किया है। इन्होंने स्मृतियों के वचनों को इस प्रकार अर्थ दिया है कि वे तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुरूप बन सकें।

मनुस्मृति पर मेघातिथि, गोविन्दराज तथा कुल्लुक भट्ट तथा याज्ञवल्क्य स्मृति पर विश्व रूप, विज्ञानेश्वर, अपरार्क, मित्र मिश्र आदि की टीकायें प्रमुख हैं।

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