भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 Indian Independence Act 1947



 



भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 Indian Independence Act 1947

प्रश्न . भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम , 1947 के प्रमुख उपबन्धों की विवेचना तथा इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये ? 
( Discuss the main provisions of the Indian Independence Act , 1947 and state its effects ? ) 
                                     अथवा
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम , 1947 पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये ? 
( Write short note on the Indian Independence Act , 1947 ? ) 
उत्तर- लार्ड माउन्टबैटन भारत के अन्तिम गवर्नर जनरल थे । जब इन्होंने 22 मार्च 1947 को गवर्नर जनरल के पद का कार्यभार सम्भाला था , उस समय देश में साम्प्रदायिक दंगों के कारण स्थिति अत्यन्त तनावपूर्ण थी । मुस्लिम लीग विभाजन की बात पर अड़ी हुई थी । उसकी भारत से अलग होने के सिवाय किसी बात पर सहमती नहीं थी । स्थिति की गंभीरता को देखे हुए लार्ड माउन्टबैंटन ने एक योजना बनाई जिसमें भारत को दो अधिराज्यों ( Dominions ) हिन्दुस्तान एवं पाकिस्तान में विभाजित किया जाना प्रस्तावित था तथा उसमें यह भी अनुशंसा की गई थी कि सत्ता का हस्तान्तरण 15 अगस्त 1947 को किया जाये । इसी योजना के अनुरूप एक विधेयक तैयार किया गया । यह विधेयक 5 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में पेश किया गया , 18 जुलाई को अधिनियम बना तथा 15 अगस्त 1947 से " भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम " के नाम से प्रभावी हुआ । 

मुख्य प्रावधान - भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम , 1947 में कुल 20 धारायें तथा दो परिशिष्ट थे । इसके मुख्य प्रावधान निम्नलिखित थे-
( 1 ) इस अधिनियम द्वारा भारत का विभाजन होकर यह दो अधिराज्यों हिन्दुस्तान एवं पाकिस्तान में विभक्त हो गया । गवर्नर जनरल द्वारा 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का दायित्व मि . जिन्ना तथा 15 अगस्त 1947 को भारत गणराज्य का दायित्व भारतीय नेताओं को सौंपा गया । 
( 2 ) 14 अगस्त 1947 के पश्चात् इन दोनों अधिराज्यों पर ब्रिटिश सरकार का कोई अधिकार नहीं रह गया । 
( 3 ) इस अधिनियम के प्रभाव में आते ही भारत ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण से पूर्णतया मुक्त हो गया । 
( 4 ) प्रत्येक अधिराज्य ( Dominion ) के लिए एक गवर्नर जनरल की नियुक्ति की व्यवस्था की गई तथा नियुक्ति का अधिकार ब्रिटिश सम्राट को दिया गया । 
( 5 ) दोनों अधिराज्यों की सीमायें सुनिश्चित की गई अर्थात दोनों अधिराज् का सीमांकन किया गया । 
( 6 ) दोनों अधिराज्यों को अपनी संविधान सभाओं के माध्यम से अपना संविधान तैयार करने का अधिकार दिया गया । जब तक नये संविधान नहीं बन जाते तब तक दोनों अधिराज्यों के लिए भारत सरकार अधिनियम , 1935 के अधीन कार्य करने की व्यवस्था की गई । 
( 7 ) भारत सचिव के पद को समाप्त कर उसके स्थान पर राष्ट्रमण्डल सचिव के नये पद का सृजन किया गया । 
( 8 ) दोनों अधिराज्यों को विधायी शक्तियाँ प्रदत्त की गई । यह प्रावधान किया गया कि 15 अगस्त 1947 के पश्चात् ब्रिटिश संसद द्वारा पारित कोई भी कानून इन दोनों अधिराज्यों पर लागू नहीं होगा । ( 9 ) गवर्नर जनरल की विवेकाधीन शक्तियों को 15 अगस्त 1947 से समाप्त कर दिया गया । 
( 10 ) प्रान्तों की विशेषाधिकार शक्तियों का भी उन्मूलन कर दिया गया ।
mortale - 
( 11 ) आपात अवस्था में गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने की शक्तियाँ प्रदान की गई । ऐसा अध्यादेश छः माह तक प्रभाव में रह सकता था । 
( 12 ) उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त की जनजातियों से समझौते और वार्तालाप का कार्य उत्तराधिकारी अधिराज्यों द्वारा जारी रखे जाने की व्यवस्था की गई । 
( 13 ) भारत सचिव द्वारा नियुक्त सिविल सेवा के अधिकारियों के नये राज्यों में यथावत कार्य करते रहने तथा उनकी सेवा शर्तों में ऐसा कोई परिवर्तन नहीं किये जाने की व्यवस्था की गई । जिससे उनके हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो । 
( 14 ) गवर्नरों तथा गवर्नर जनरल को जारी किये गये दिशा - निर्देश बिलेख : समाप्त कर दिये गये । 
( 15 ) भारत की सशस्त्र सेनाओं के दोनों राज्यों में विभाजन का कार्य गवर्नर जनरल को सौंपा गया ; लेकिन ब्रिटिश सेना को इस व्यवस्था से मुक्त से रखा गया । 
( 16 ) संविधान निर्मात्री समिति से वही अभिप्राय लिया गया जो 9 दिसम्बर 1946 की बैठक में तय हुआ था । 
( 17 ) जनमत संग्रह के आधार पर बंगाल , पंजाब एवं आसाम के विभाजन तथा उनके सीमांकन का प्रावधान किया गया ।
प्रभाव - भारत स्वतंत्रता अधिनियम , 1947 भारतवासियों के लिए एक स्वर्णिम दस्तावेज था । यह भारत में एक नई आशा की किरण लेकर आया था । 
इस अधिनियम के लागू होते ही भारत में विगत 200 वर्षों से चले आ रहे ब्रिटिश शासन का अन्त हो गया । अब भारत ( हिन्दुस्तान ) एवं पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र ( अधिराज्य ) बन गये । भारतीय देशी राज्यों को उनकी प्रभुसत्ता पुनः प्राप्त हो गई ।

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