सीमित दायित्व भागीदारी अधिनियम, 2008
सीमित दायित्व भागीदारी अधिनियम, 2008
(2009 का अधिनियम संख्यांक 6)
[7 जनवरी, 2009]
सीमित दायित्व भागीदारी की विरचना और विनियमन का तथा
उनसे संबंधित या उनके आनुषंगिक
विषयों का उपबंध
करने के लिए
अधिनियम
भारत गणराज्य के उनसठवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित होः-
अध्याय 1
प्रारंभिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सीमित दायित्व भागीदारी अधिनियम, 2008 है ।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे:
परन्तु इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबंधों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी और किसी ऐसे उपबंध में इस अधिनियम के प्रारंभ के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस उपबंध के प्रवृत्त होने के प्रतिनिर्देश है ।
2. परिभाषाएं-(1) इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
(क) सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार के संबंध में पते" से निम्नलिखित अभिप्रेत है-
(i) यदि व्यष्टि है तो उसके प्रायिक निवास स्थान का पता; और
(ii) यदि निगम निकाय है तो उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय का पता;
(ख) अधिवक्ता" से अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (1961 का 25) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (क) में यथापरिभाषित अधिवक्ता अभिप्रेत है;
(ग) अपील अधिकरण" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 10चद की उपधारा (1) के अधीन गठित राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण अभिप्रेत है;
(घ) निगम निकाय" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 में यथापरिभाषित कंपनी अभप्रेत है और इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं-
(i) इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत सीमित दायित्व भागीदारी;
(ii) भारत के बाहर निगमित सीमित दायित्व भागीदारी; और
(iii) भारत के बाहर निगमित कंपनी,
किन्तु इसके अंतर्गत निम्नलिखित नहीं हैं-
(i) एकल निगम;
(ii) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत सहकारी सोसाइटी; और
(iii) कोई अन्य निगम निकाय [जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 में यथापरिभाषित कंपनी या इस अधिनियम में यथापरिभाषित सीमित दायित्व भागीदारी नहीं है], जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे;
(ङ) कारबार" में प्रत्येक व्यापार, वृत्ति, सेवा और उपजीविका सम्मिलित हैं;
(च) चार्टर्ड अकाउंटेंट" से चार्टर्ड अकाउंटेंट अधिनियम, 1949 (1949 का 38) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (ख) में यथापरिभाषित चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिप्रेत है जिसने उस अधिनियम की धारा 6 की उपधारा (1) के अधीन व्यवसाय प्रमाणपत्र अभिप्राप्त कर लिया है;
(छ) कंपनी सचिव" से कंपनी सचिव अधिनियम, 1980 (1980 का 56) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (ग) में यथापरिभाषित कंपनी सचिव अभिप्रेत है जिसने उस अधिनियम की धारा 6 की उपधारा (1) के अधीन व्यवसाय प्रमाणपत्र अभिप्राप्त कर लिया है;
(ज) लागत लेखापाल" से लागत और संकर्म लेखापाल अधिनियम, 1959 (1959 का 23) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (ख) में यथापरिभाषित कोई लागत लेखापाल अभिप्रेत है, जिसने उस अधिनियम की धारा 6 की उपधारा (1) के अधीन व्यवसाय प्रमाणपत्र अभिप्राप्त कर लिया है;
(झ) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के संबंध में न्यायालय" से धारा 77 के उपबंधों के अनुसार अधिकारिता रखने वाला न्यायालय अभिप्रेत है;
(ञ) अभिहित भागीदार" से धारा 7 के अनुसरण में भागीदार के रूप में अभिहित कोई भागीदार अभिप्रेत है;
(ट) अस्तित्व" से कोई निगम निकाय अभिप्रेत है और धारा 18, धारा 46, धारा 47, धारा 48, धारा 49, धारा 50, धारा 52 और धारा 53 के प्रयोजनों के लिए इसके अंतर्गत भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) के अधीन स्थापित फर्म भी है;
(ठ) सीमित दायित्व भागीदारी के संबंध में वित्तीय वर्ष" से वर्ष की 1 अप्रैल से आगामी वर्ष की 31 मार्च तक की अवधि अभिप्रेत हैः
परन्तु वर्ष की 30 सितंबर के पश्चात् निगमित सीमित दायित्व भागीदारी की दशा में, वित्तीय वर्ष, उस वर्ष के अगले आगामी वर्ष की 31 मार्च को समाप्त हो सकेगा;
(ड) विदेशी सीमित दायित्व भागीदारी" से भारत के बाहर विरचित, निगमित या रजिस्ट्रीकृत सीमित दायित्व भागीदारी अभिप्रेत है और जो भारत के भीतर कारबार का कोई स्थान स्थापित करती है;
(ढ) सीमित दायित्व भागीदारी" से इस अधिनियम के अधीन विरचित और रजिस्ट्रीकृत भागीदारी अभिप्रेत है;
(ण) सीमित दायित्व भागीदारी करार" से सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों के बीच या सीमित दायित्व भागीदारी और उसके भागीदारों के बीच कोई लिखित करार अभिप्रेत है, जो भागीदारों के पारस्परिक अधिकारों और कर्तव्यों तथा उस सीमित दायित्व भागीदारी के संबंध में उनके अधिकारों और कर्तव्यों का अवधारण करता है;
(त) सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार के संबंध में नाम" से निम्नलिखित अभिप्रेत है-
(i) यदि व्यष्टि है तो उसका मुख्य नाम, मध्य नाम और उपनाम; और
(ii) यदि निगम निकाय है तो उसका रजिस्ट्रीकृत नाम;
(थ) सीमित दायित्व भागीदारी के संबंध में, भागीदार" से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, जो सीमित दायित्व भागीदारी करार के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में भागीदार बनता है;
(द) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
(ध) रजिस्ट्रार" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन कंपनियों को रजिस्ट्रीकृत करने के कर्तव्य वाला रजिस्ट्रार, या अपर, संयुक्त, उप या सहायक रजिस्ट्रार अभिप्रेत है;
(न) अनुसूची" से इस अधिनियम की अनुसूची अभिप्रेत है;
(प) अधिकरण" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 10चख की उपधारा (1) के अधीन गठित राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण अभिप्रेत है ।
(2) उन शब्दों और पदों के, जो इस अधिनियम में प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं, किन्तु कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में परिभाषित हैं, वही अर्थ हैं जो उस अधिनियम में हैं ।
अध्याय 2
सीमित दायित्व भागीदारी की प्रकृति
3. सीमित दायित्व भागीदारी का निगम निकाय होना-(1) सीमित दायित्व भागीदारी ऐसा निगम निकाय है, जिसे इस अधिनियम के अधीन विरचित और निगमित किया गया है तथा जिसका इसके भागीदारों से पृथक् विधिक अस्तित्व है ।
(2) सीमित दायित्व भागीदारी का शाश्वत् उत्तराधिकार होगा ।
(3) सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों में किसी परिवर्तन से सीमित दायित्व भागीदारी की विद्यमानता, अधिकार या दायित्व प्रभावित नहीं होंगे ।
4. भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 का लागू न होना-जैसा अन्यथा उपबंधित है, उसके सिवाय, भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) के उपबंध सीमित दायित्व भागीदारी को लागू नहीं होंगे ।
5. भागीदार-कोई व्यष्टि या निगम निकाय सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार हो सकेगा:
परन्तु व्यष्टि सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार होने के लिए समर्थ नहीं होगा, यदि, -
(क) वह सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय द्वारा विकृतचित्त पाया गया है और ऐसा निष्कर्ष प्रवर्तन में है;
(ख) वह अनुन्मोचित दिवालिया है; या
(ग) उसने दिवालिया न्यायनिर्णीत किए जाने के लिए आवेदन किया है और उसका आवेदन लंबित है ।
6. भागीदारों की न्यूनतम संख्या-(1) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी में कम से कम दो भागीदार होंगे ।
(2) यदि किसी समय सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों की संख्या दो से कम हो जाती है और सीमित दायित्व भागीदारी इस प्रकार संख्या के कम होने के दौरान छह मास से अधिक के लिए कारबार जारी रखती है, तो वह व्यक्ति, जो उस समय के दौरान सीमित दायित्व भागीदारी का एकमात्र भागीदार है जब वह उन छह मास के पश्चात् इस प्रकार कारबार करता रहा है और उसे उस तथ्य की जानकारी है कि वह अकेला ही उसका कारबार चला रहा है, तो वह उस अवधि के दौरान सीमित दायित्व भागीदारी को उपगत बाध्यताओं के लिए व्यक्तिगत रूप से दायी होगा ।
7. अभिहित भागीदार-(1) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी के कम से कम दो अभिहित भागीदार होंगे, जो व्यष्टि हों और उनमें से कम से कम एक भारत में निवासी होगा:
परन्तु ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी की दशा में, जिसमें सभी भागीदार निगम निकाय हैं या जिसमें एक या अधिक भागीदार व्यष्टि और निगम निकाय हैं, कम से कम दो व्यष्टि जो ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार हैं या ऐसे निगम निकायों के नामनिर्देशिती हैं, अभिहित भागीदारों के रूप में कार्य करेंगे ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजन के लिए भारत में निवासी" पद से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो ठीक पूर्ववर्ती एक वर्ष के दौरान एक सौ बयासी दिन से अन्यून की अवधि के लिए भारत में ठहरा है ।
(2) उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, -
(i) यदि निगमन दस्तावेज, -
(क) यह विनिर्दिष्ट करता है कि अभिहित भागीदार कौन होंगे तो ऐसे व्यक्ति निगमन पर अभिहित भागीदार होंगे; या
(ख) यह कथन करता है कि सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक भागीदार समय-समय पर अभिहित भागीदार होगा तो प्रत्येक ऐसा भागीदार अभिहित भागीदार होगा;
(ii) कोई भागीदार, सीमित दायित्व भागीदारी करार द्वारा और उसके अनुसार अभिहित भागीदार बन सकेगा और कोई भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी करार के अनुसार अभिहित भागीदार नहीं रहेगा ।
(3) कोई व्यष्टि किसी सीमित दायित्व भागीदारी में तभी अभिहित भागीदार होगा जब उसने सीमित दायित्व भागीदारी में उस रूप में कार्य करने के लिए ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में जो विहित की जाए, पूर्व सहमति दे दी हो ।
(4) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी ऐसे प्रत्येक व्यष्टि की, जिसने अभिहित भागीदार के रूप में कार्य करने के लिए अपनी पूर्व सहमति अपनी नियुक्ति के तीस दिन के भीतर ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, दे दी है, विशिष्टियां रजिस्ट्रार के पास फाइल करेगा ।
(5) अभिहित भागीदार होने के लिए पात्र व्यष्टि ऐसी शर्तों और अपेक्षाओं को जो विहित की जाएं, पूरा करेगा ।
(6) सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक अभिहित भागीदार केन्द्रीय सरकार से अभिहित भागीदार पहचान संख्या अभिप्राप्त करेगा और उक्त प्रयोजन के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 266क से धारा 266छ (जिसमें दोनों धाराएं भी सम्मिलित हैं) के उपबंध यथा आवश्यक परिवर्तनों सहित लागू होंगे ।
8. अभिहित भागीदारों के दायित्व-जब तक कि इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबंधित न हो, कोई अभिहित भागीदार-
(क) ऐसी सभी कार्यों, विषयों और बातों को करने के लिए उत्तरदायी होगा जो सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा इस अधिनियम के उपबंधों के अनुपालन की बाबत की जानी अपेक्षित हैं, जिसके अंतर्गत इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसरण में ऐसे किसी दस्तावेज, विवरणी, विवरण और इसी प्रकार की रिपोर्ट को जो सीमित दायित्व भागीदारी करार में विनिर्दिष्ट किया जाए, फाइल करना भी है; और
(ख) उन उपबंधों के किसी उल्लंघन के लिए सीमित दायित्व भागीदारी पर अधिरोपित सभी शास्तियों के लिए दायी होगा ।
9. अभिहित भागीदारों में परिवर्तन-सीमित दायित्व भागीदारी किसी कारण से हुई रिक्ति के तीस दिन के भीतर अभिहित भागीदार को नियुक्त कर सकेगी और धारा 7 की उपधारा (4) और उपधारा (5) के उपबंध ऐसे नए अभिहित भागीदार के संबंध में लागू होंगे:
परन्तु यदि कोई अभिहित भागीदार नियुक्त नहीं किया जाता है या यदि किसी समय के बल एक अभिहित भागीदार है तो प्रत्येक भागीदार अभिहित भागीदार समझा जाएगा ।
10. धारा 7, धारा 8 और धारा 9 के उल्लंघन के लिए दंड-(1) यदि सीमित दायित्व भागीदारी धारा 7 की उपधार (1) के उपबंधों का उल्लंघन करती है तो सीमित दायित्व भागीदारी और उसका प्रत्येक भागीदार जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(2) यदि सीमित दायित्व भागीदारी, धारा 7 की उपधारा (4) और उपधारा (5), धारा 8 या धारा 9 के उपबंधों का उल्लंघन करती है, तो सीमित दायित्व भागीदारी और उसका प्रत्येक भागीदार जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
अध्याय 3
सीमित दायित्व भागीदारी का निगमन और उसके आनुषंगिक विषय
11. निगमन दस्तावेज-(1) निगमित की जाने वाली सीमित दायित्व भागीदारी के लिए, -
(क) लाभ की दृष्टि से किसी विधि युक्त कारबार को चलाने के लिए सहयोजित दो या अधिक व्यक्ति निगमन दस्तावेज पर अपने नाम हस्ताक्षरित करेंगे;
(ख) निगमन दस्तावेज ऐसी रीति में और ऐसी फीस के साथ, जो विहित की जाए, उस राज्य के रजिस्ट्रार के पास फाइल किया जाएगा, जिसमें सीमित दायित्व भागीदारी का रजिस्ट्रीकृत कार्यालय अवस्थित है; और
(ग) निगमन दस्तावेज के साथ विहित प्ररूप में या तो किसी अधिवक्ता या कंपनी सचिव या चार्टर्ड अकाउंटेंट या लागत लेखापाल द्वारा, जो सीमित दायित्व भागीदारी की विरचना में लगा हुआ है और ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा, जिसने निगमन दस्तावेज पर अपना नाम हस्ताक्षरित किया है, किया गया यह कथन फाइल किया जाएगा कि निगमन और उससे पूर्व के और उसके आनुषंगिक विषयों के संबंध में इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों की सभी अपेक्षाओं का अनुपालन किया गया है ।
(2) निगमन दस्तावेज, -
(क) ऐसे प्ररूप में होगा, जो विहित किया जाए;
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी के नाम का कथन होगा;
(ग) सीमित दायित्व भागीदारी के प्रस्तावित कारबार का कथन होगा;
(घ) सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय के पते का कथन होगा;
(ङ) ऐसे प्रत्येक व्यक्ति के, जो निगमन पर सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार होंगे, नाम और पते का कथन होगा;
(च) ऐसे व्यक्तियों के, जो निगमन पर सीमित दायित्व भागीदारी के अभिहित भागीदार होंगे, नाम और पते का कथन होगा;
(छ) प्रस्तावित सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित ऐसी अन्य सूचना अंतर्विष्ट होगी, जो विहित की जाए ।
(3) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन ऐसा कथन करता है जिसके बारे में वह -
(क) यह जानता है कि वह मिथ्या है; या
(ख) यह विश्वास नहीं करता है कि वह सही है,
तो वह कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
12. रजिस्ट्रीकरण द्वारा निगमन-(1) जब धारा 11 की उपधारा (1) के खंड (ख) और खंड (ग) द्वारा अधिरोपित अपेक्षाओं का अनुपालन हो गया है तब रजिस्ट्रार निगमन दस्तावेज को रखेगा और जब तक उस उपधारा के खंड (क) द्वारा अधिरोपित अपेक्षा का अनुपालन नहीं किया जाता है तब तक वह चौदह दिन का अवधि के भीतर-
(क) निगमन दस्तावेज को रजिस्ट्रीकृत नहीं करेगा; और
(ख) यह प्रमाणपत्र नहीं देगा कि सीमित दायित्व भागीदारी निगमन दस्तावेज में विनिर्दिष्ट नाम से निगमित की गई है ।
(2) रजिस्ट्रार, धारा 11 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन परिदत्त विवरण को पर्याप्त साक्ष्य के रूप में स्वीकार कर सकेगा कि उस उपधारा के खंड (क) द्वारा अधिरोपित अपेक्षा का अनुपालन कर दिया गया है ।
(3) उपधारा (1) के खंड (ख) के अधीन जारी प्रमाणपत्र रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित और उसकी कार्यालय मुद्रा द्वारा अधिप्रमाणित किया जाएगा ।
(4) प्रमाणपत्र इस बात का निर्णायक साक्ष्य होगा कि सीमित दायित्व भागीदारी उसमें विनिर्दिष्ट नाम से निगमित की गई है ।
13. सीमित दायित्व भागीदारी का रजिस्ट्रीकृत कार्यालय और उसमें परिवर्तन-(1) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी का एक रजिस्ट्रीकृत कार्यालय होगा जिसको सभी संसूचनाएं और सूचनाएं संबोधित की जा सकेंगी और जहां वे प्राप्त की जाएंगी ।
(2) किसी दस्तावेज की तामील सीमित दायित्व भागीदारी या उसके भागीदार या अभिहित भागीदार पर डाक में डाले जाने के प्रमाणपत्र के अधीन डाक द्वारा या रजिस्ट्रीकृत डाक द्वारा या ऐसी किसी अन्य रीति से, जो विहित की जाए, उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पर और ऐसे किसी अन्य पते पर, जो सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा इस प्रयोजन के लिए विनिर्दिष्ट रूप से घोषित किया जाए, ऐसे प्ररूप और रीति में, जो विहित किए जाएं, भेजकर की जा सकेगी ।
(3) सीमित दायित्व भागीदारी अपने रजिस्ट्रीकृत कार्यालय के स्थान में परिवर्तन कर सकेगी, ऐसे परिवर्तन की सूचना रजिस्ट्रार के पास ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो विहित की जाए, फाइल कर सकेगी और ऐसा परिवर्तन इस प्रकार सूचना फाइल करने पर ही प्रभावी होगा ।
(4) यदि सीमित दायित्व भागीदारी इस धारा के किन्हीं उपबंधों का उल्लंघन करती है तो सीमित दायित्व भागीदारी और उसका प्रत्येक भागीदार जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पच्चीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
14. रजिस्ट्रीकरण का प्रभाव-रजिस्ट्रीकरण पर, सीमित दायित्व भागीदारी अपने नाम से-
(क) वाद लाने और उसके विरुद्ध वाद लाए जाने;
(ख) संपत्ति का, चाहे स्थावर हो या जंगम, मूर्त हो या अमूर्त, अर्जन करने, स्वामित्व रखने, धारण करने, विकास या व्ययन करने;
(ग) यदि उसने एक मुद्रा रखने का विनिश्चय किया है तो सामान्य मुद्रा रखने; और
(घ) ऐसे अन्य कार्यों और बातों को करने और कराने, जिन्हें निगम निकाय विधिमान्य रूप से कर या करा सकता है, के लिए समर्थ होगी ।
15. नाम-(1) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी के नाम में या तो सीमित दायित्व भागीदारी" शब्द या सी0 दा0 भा0" संक्षेपाक्षर, उसके नाम के अंतिम अक्षरों के रूप में होंगे ।
(2) कोई सीमित दायित्व भागीदारी ऐसे नाम से रजिस्ट्रीकृत नहीं की जाएगी जो केन्द्रीय सरकार की राय में-
(क) अवांछनीय है; या
(ख) किसी अन्य भागीदारी फर्म या सीमित दायित्व भागीदारी या निगम निकाय या रजिस्ट्रीकृत व्यापार चिह्न या ऐसे किसी व्यापार चिह्न के समरूप है या उससे बहुत कुछ मिलता-जुलता है, जो व्यापार चिह्न अधिनियम, 1999 (1999 का 47) के अधीन किसी अन्य व्यक्ति के रजिस्ट्रीकरण के लिए कभी आवेदन की विषय वस्तु है ।
16. नाम का आरक्षण-(1) कोई व्यक्ति ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में और ऐसी फीस के साथ, जो विहित की जाएं, -
(क) प्रस्तावित सीमित दायित्व भागीदारी के नाम के रूप में; या
(ख) उस नाम के रूप में जिसमें सीमित दायित्व भागीदारी अपने नाम का परिवर्तन करने का प्रस्ताव करती है,
आवेदन में उपवर्णित नाम के आरक्षण के लिए रजिस्ट्रार को आवेदन कर सकेगा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन आवेदन की प्राप्ति पर और विहित फीस के संदाय पर, रजिस्ट्रार, इस विषय में केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित नियमों के अधीन रहते हुए, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि आरक्षित किया जाने वाला नाम वह नहीं है जिसे धारा 15 की उपधारा (2) में निर्दिष्ट किसी आधार पर खारिज किया जाए, रजिस्ट्रार द्वारा सूचना की तारीख से तीन मास की अवधि के लिए नाम आरक्षित कर सकेगा ।
17. सीमित दायित्व भागीदारी के नाम का परिवर्तन-(1) धारा 15 और धारा 16 में किसी बात के होते हुए भी, जहां केन्द्रीय सरकार का यह समाधान हो जाता है कि सीमित दायित्व भागीदारी किसी ऐसे नाम से रजिस्ट्रीकृत की गई है (चाहे अनवधनता से या अन्यथा और चाहे मूल रूप से या नाम में परिवर्तन द्वारा) जो-
(क) धारा 15 की उपधारा (2) में निर्दिष्ट नाम है; या
(ख) किसी अन्य सीमित दायित्व भागीदारी या निगम निकाय या अन्य नाम के समरूप है या उससे इतना मिलता-जुलता है, जिससे भूल होने की संभावना है,
वहां केन्द्रीय सरकार, ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी को अपने नाम में परिवर्तन करने का निदेश दे सकेगी और सीमित दायित्व भागीदारी उक्त निदेश का, निदेश की तारीख के पश्चात् तीन मास के भीतर या ऐसी दीर्घतर अवधि के भीतर, जो केन्द्रीय सरकार अनुज्ञात करे, पालन करेगी ।
(2) कोई ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी जो, उपधारा (1) के अधीन दिए गए किसी निदेश का पालन करने में असफल रहती है, जुर्माने से जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी और ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी का अभिहित भागीदार जुर्माने से जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
18. कतिपय परिस्थितियों में नाम के परिवर्तन के निदेश के लिए आवेदन-(1) कोई अस्तित्व जिसका नाम पहले से ही किसी ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी के, जिसे बाद में निगमित किया गया है, नाम के समरूप है, ऐसी रीति में जो विहित की जाए, धारा 17 में निर्दिष्ट आधार पर किसी सीमित दायित्व भागीदारी को अपना नाम परिवर्तन करने के लिए निदेश देने के लिए रजिस्ट्रार को आवेदन कर सकेगा ।
(2) रजिस्ट्रार, धारा 17 की उपधारा (1) के खंड (ख) में निर्दिष्ट आधार पर किसी सीमित दायित्व भागीदारी को कोई निदेश देने के लिए उपधारा (1) के अधीन किसी आवेदन पर तभी विचार करेगा जब रजिस्ट्रार को उस नाम से सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से चौबीस मास के भीतर आवेदन प्राप्त हुआ हो ।
19. रजिस्ट्रीकृत नाम का परिवर्तन-कोई सीमित दायित्व भागीदारी रजिस्ट्रार के पास रजिस्ट्रीकृत अपने नाम में ऐसे परिवर्तन की सूचना ऐसे प्ररूप और रीति में तथा ऐसी फीस के संदाय पर जो विहित की जाए, उसके पास फाइल करके परिवर्तन कर सकेगी ।
20. सीमित दायित्व भागीदारी" या सी०दा०भा०" शब्दों के अनुचित प्रयोग के लिए शास्ति-यदि किसी व्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों द्वारा किसी ऐसे नाम या अभिनाम के अधीन कारबार चलाया जाता है जिसके अंत में सीमित दायित्व भागीदारी" या सी०दा०भा०" शब्द या उनका कोई संक्षिप्त रूप या नकल शब्द हैं तो वह व्यक्ति या उनमें से प्रत्येक व्यक्ति जब तक सीमित दायित्व भागीदारी के रूप में सम्यक् रूप से निगमित नहीं किया गया है, जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
21. नाम और सीमित दायित्व का प्रकाशन-प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि उसके बीजकों, शासकीय पत्राचार और प्रकाशनों पर निम्नलिखित अंकित हो, अर्थात्ः-
(क) सीमित दायित्व भागीदारी का नाम, उसके रजिस्ट्रीकरण कार्यालय का पता और रजिस्ट्रीकरण संख्या; और
(ख) यह कथन कि यह सीमित दायित्व के साथ रजिस्ट्रीकृत है ।
(2) कोई सीमित दायित्च भागीदारी, जो उपधारा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करती है, जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पच्चीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी ।
अध्याय 4
भागीदार और उनके संबंध
22. भागीदार बनने के लिए पात्रता-सीमित दायित्व भागीदारी के निगमन पर, वे व्यक्ति जिन्होंने निगमन दस्तावेज पर अपने नाम हस्ताक्षरित किए हैं, उसके भागीदार होंगे और कोई अन्य व्यक्ति सीमित दायित्व भागीदारी करार द्वारा और उसके अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार बन सकेगा ।
23. भागीदारों के संबंध-(1) इस अधिनियम में यथा उपबंधित के सिवाय सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों के पारस्परिक अधिकार और कर्तव्य तथा सीमित दायित्व भागीदारी और उसके भागीदारों के पारस्परिक अधिकार और कर्तव्य भागीदारों के बीच या सीमित दायित्व भागीदारी और उसके भागीदारों के बीच सीमित दायित्व भागीदारी करार द्वारा शासित होंगे ।
(2) सीमित दायित्व भागीदारी करार और उसमें किए गए किन्हीं परिवर्तनों को यदि कोई हों, ऐसे प्ररूप और रीति में तथा ऐसी फीस के साथ, जो विहित की जाएं, रजिस्ट्रार के पास फाइल किया जाएगा ।
(3) उन व्यक्तियों के बीच, जो निगमन दस्तावेज पर अपना नाम हस्ताक्षरित करते हैं, सीमित दायित्व भागीदारी के निगमन से पूर्व लिखित में किया गया कोई करार सीमित दायित्व भागीदारी पर बाध्यताएं अधिरोपित कर सकेगा, परंतु यह तब जब ऐसे करार का सीमित दायित्व भागीदारी के निगमन के पश्चात् सभी भागीदारों द्वारा अनुसमर्थन कर दिया गया हो ।
(4) किसी विषय से संबंधित करार के अभाव में, भागीदारों के पारस्परिक अधिकारों और कर्तव्यों तथा सीमित दायित्व भागीदारी और भागीदारों के पारस्परिक अधिकारों और कर्तव्यों को उस विषय से संबंधित उपबंधों द्वारा जो पहली अनुसूची में उपवर्णित हैं, अवधारित किया जाएगा ।
24. भागीदारी हित का समाप्त हो जाना-(1) कोई व्यक्ति, भागीदार न रहने के संबंध में अन्य भागीदारों के साथ किसी करार के अनुसार या अन्य भागीदारों के साथ करार के अभाव में, भागीदारी त्यागने के अपने आशय की अन्य भागीदारों को तीस दिन से अन्यून की लिखित में सूचना देकर सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार नहीं रह सकेगा ।
(2) कोई व्यक्ति, -
(क) अपनी मृत्यु या सीमित दायित्व भागीदारी के विघटन पर; या
(ख) यदि उसे किसी सक्षम न्यायालय द्वारा विकृतचित्त घोषित कर दिया गया है; या
(ग) यदि उसने दिवालिया के रूप में न्यायनिर्णीत होने के लिए आवेदन किया है या उसे दिवालिया के रूप में घोषित किए जाने पर, किसी सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार नहीं रहेगा ।
(3) जहां, कोई व्यक्ति सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार नहीं रहा है (जिसे इसमें इसके पश्चात् पूर्व भागीदार" कहा गया है) वहां पूर्व भागीदार को, (सीमित दायित्व भागीदारी के साथ संव्यवहार करने वाले किसी व्यक्ति के संबंध में) सीमित दायित्व भागीदारी का तब तक भागीदार माना जाएगा, जब तक-
(क) उस व्यक्ति को यह सूचना नहीं दे दी गई हो कि पूर्व भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार नहीं रहा है; या
(ख) रजिस्ट्रार को यह सूचना नहीं दे दी गई हो कि पूर्व भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार नहीं रहा है ।
(4) सीमित दायित्व भागीदारी में किसी भागीदार के न रहने से ही भागीदार की, सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य भागीदार के प्रति या किसी अन्य व्यक्ति के प्रति बाध्यता, जो उसके भागीदार रहने के दौरान उपगत हुई हो, निर्मोचित नहीं होती है ।
(5) जहां सीमित दायित्व भागीदारी का कोई भागीदार, भागीदार नहीं रहता है, वहां जब तक सीमित दायित्व भागीदारी करार में अन्यथा उपबंधित न हो, पूर्व भागीदार या पूर्व भागीदार की मृत्यु या दिवालिएपन के परिणामस्वरूप उसके हिस्से का हकदार कोई व्यक्ति सीमित दायित्व भागीदारी से, पूर्व भागीदार के भागीदार न रहने की तारीख को अवधारित सीमित दायित्व भागीदारी को संचित हानियों की कटौती करने के पश्चात् निम्नलिखित प्राप्त करने का हकदार होगा-
(क) सीमित दायित्व भागीदारी में पूर्व भागीदार के वास्तव में किए गए पूंजी अभिदाय के बराबर रकम;
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी के संचित लाभों में हिस्सा लेने का उसका अधिकार ।
(6) पूर्व भागीदार या पूर्व भागीदार की मृत्यु या दिवालिएपन के परिणामस्वरूप उसके हिस्से के हकदार किसी व्यक्ति को सीमित दायित्व भागीदारी के प्रबंध में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होगा ।
25. भागीदारों के परिवर्तन का रजिस्ट्रीकरण-(1) प्रत्येक भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी को अपने नाम या पते में परिवर्तन की सूचना, ऐसे परिवर्तन के पंद्रह दिन की अवधि के भीतर देगा ।
(2) सीमित दायित्व भागीदारी, -
(क) जहां कोई व्यक्ति भागीदार बनता है या भागीदार नहीं रहता है, वहां उसके भागीदार बनने या न रहने की तारीख से तीस दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास सूचना फाइल करेगी; और
(ख) जहां भागीदार के नाम या पते में कोई परिवर्तन है, वहां ऐसे परिवर्तन के तीस दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास सूचना फाइल करेगी ।
(3) उपधारा (2) के अधीन रजिस्ट्रार के पास फाइल की गई सूचना-
(क) ऐसे प्ररूप में और ऐसी फीस के साथ होगी, जो विहित की जाए;
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी के अभिहित भागीदार द्वारा हस्ताक्षरित की जाएगी और ऐसी रीति में अधिप्रमाणित की जाएगी जो विहित की जाए; और
(ग) यदि वह आने वाले भागीदार के संबंध में है तो उसमें उस भागीदार द्वारा यह कथन होगा कि वह भागीदार बनने की सहमति देता है, जो उसके द्वारा हस्तारक्षरित और ऐसी रीति में जो विहित की जाए, अधिप्रमाणित होगा ।
(4) यदि सीमित दायित्व भागीदारी उपधारा (2) के उपबंधों का उल्लंघन करती है तो सीमित दायित्व भागीदारी और सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक अभिहित भागीदार जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो पच्चीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(5) यदि कोई भागीदार उपधारा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो, ऐसा भागीदार जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो पच्चीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(6) कोई व्यक्ति, जो सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार नहीं रहा है, उपधारा (3) में निर्दिष्ट सूचना रजिस्ट्रार के पास स्वयं फाइल कर सकेगा, यदि उसके पास यह विश्वास करने का युक्तियुक्त कारण है कि सीमित दायित्व भागीदारी रजिस्ट्रार के पास सूचना फाइल नहीं कर सकेगी और भागीदार द्वारा फाइल की गई किसी सूचना की दशा में रजिस्ट्रार, सीमित दायित्व भागीदारी से इस आशय की पुष्टि प्राप्त करेगा जब तक कि सीमित दायित्व भागीदारी ने भी ऐसी सूचना फाइल नहीं कर दी हो:
परन्तु जहां सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा पन्द्रह दिन के भीतर कोई पुष्टि नहीं की गई है वहां रजिस्ट्रार इस धारा के अधीन भागीदार न रहने वाले व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना को रजिस्टर करेगा ।
अध्याय 5
सीमित दायित्व भागीदारी और भागीदारों के दायित्वों का विस्तार और परिसीमा
26. अभिकर्ता के रूप में भागीदार-किसी सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक भागीदार, सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार के प्रयोजन के लिए, सीमित दायित्व भागीदारी का अभिकर्ता है न कि अन्य भागीदारों का ।
27. सीमित दायित्व भागीदारी के दायित्व की सीमा-(1) सीमित दायित्व भागीदारी, किसी भागीदार द्वारा किसी व्यक्ति के साथ संव्यवहार करने में की गई किसी बात के लिए आबद्ध नहीं है यदि-
(क) भागीदार को वास्तव में सीमित दायित्व भागीदारी के लिए किसी विशिष्ट कार्य को करने का कोई प्राधिकार नहीं है; और
(ख) वह व्यक्ति यह जानता है कि उसको कोई प्राधिकार नहीं है या वह यह नहीं जानता है या उसे यह विश्वास है कि वह सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार है ।
(2) सीमित दायित्व भागीदारी दायी है, यदि सीमित दायित्व भागीदारी का कोई भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार के दौरान उसकी ओर से या उसके प्राधिकार से किसी सदोष कार्य या लोप के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति के प्रति दायी है ।
(3) सीमित दायित्व भागीदारी की कोई बाध्यता, चाहे वह संविदा से उद्भूत हुई हो या अन्यथा, मुख्य रूप से सीमित दायित्व भागीदारी की बाध्यता होगी ।
(4) सीमित दायित्व भागीदारी के दायित्वों की पूर्ति सीमित दायित्व भागीदारी की संपत्ति से की जाएगी ।
28. भागीदार के दायित्व की सीमा-(1) कोई भागीदार धारा 27 की उपधारा (3) में निर्दिष्ट किसी बाध्यता के लिए केवल सीमित दायित्व भागीदारी का भागीदार होने के कारण प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः व्यक्तिगत रूप से दायी नहीं है ।
(2) धारा 27 की उपधारा (3) और इस धारा की उपधारा (1) के उपबंध किसी भागीदार के सदोष कार्य या लोप के लिए उसके व्यक्तिगत दायित्व को प्रभावित नहीं करेंगे, किन्तु कोई भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी के किसी अन्य भागीदार के सदोष कार्य या लोप के लिए व्यक्तिगत रूप से दायी नहीं होगा ।
29. व्यपदेशन-(1) जो कोई मौखिक या लिखित शब्दों द्वारा या आचरण द्वारा यह व्यपदेशन करता है या जानकर यह व्यपदेशन किया जाने देता है कि वह सीमित दायित्व भागीदारी में भागीदार है, वह किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति दायी है जिसने किसी ऐसे व्यपदेशन के भरोसे उस सीमित दायित्व भागीदारी को उधार दिया है चाहे वह व्यक्ति जिसने अपने भागीदार होने का व्यपदेशन किया है या जिसके भागीदार होने का व्यपदेशन किया गया है यह ज्ञान रखता हो या नहीं कि वह व्यपदेशन ऐसे उधार देने वाले व्यक्ति तक पहुंचा हैं :
परंतु जहां कोई उधार किसी सीमित दायित्व भागीदारी ने ऐसे व्यपदेशन के परिणामस्वरूप प्राप्त किया है वहां सीमित दायित्व भागीदारी ऐसे व्यक्ति के दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जिसने इस प्रकार भागीदार होने के बारे में स्वयं व्यपदेशन किया है या जिसका व्यपदेशन किया था उसके द्वारा प्राप्त उधार की सीमा तक या उस पर व्युत्पन्न किसी वित्तीय फायदे की सीमा तक दायी होगा ।
(2) जहां भागीदार की मृत्यु के पश्चात् कारबार उसी सीमित दायित्व भागीदारी के नाम से चालू रखा जाता है वहां उस नाम का या मृतक भागीदार के नाम का भागरूप उपयोग किए जाते रहना स्वयं में उस भागीदार के विधिक प्रतिनिधि को या उसकी संपदा को सीमित दायित्व भागीदारी के किसी कार्य के लिए जो उसकी मृत्यु के पश्चात् किया गया हो, दायी नहीं बनाएगा ।
30. कपट की दशा में असीमित दायित्व-(1) किसी सीमित दायित्व भागीदारी या उसके किसी भागीदार द्वारा सीमित दायित्व भागीदारी या किसी अन्य व्यक्ति के लेनदारों के साथ कपटपूर्ण आशय या किसी कपटपूर्ण प्रयोजन के लिए किए गए किसी कार्य की दशा में, सीमित दायित्व भागीदारी और उन भागीदारों का दायित्व, जिन्होंने लेनदारों के साथ कपटपूर्ण आशय से या किसी कपटपूर्ण प्रयोजन के लिए कार्य किया है, सीमित दायित्व भागीदारी के सभी या किन्हीं ऋणों या अन्य दायित्वों के लिए असीमित होंगे:
परन्तु यदि ऐसा कोई कार्य किसी भागीदार द्वारा किया गया है तो सीमित दायित्व भागीदारी तब तक उसी सीमा तक दायी होगी जिस तक भागीदार दायी है जब तक सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा यह साबित नहीं कर दिया जाता है कि ऐसा कार्य सीमित दायित्व भागीदारी की जानकारी या प्राधिकार के बिना किया गया था ।
(2) जहां कोई कारबार ऐसे आशय से या ऐसे प्रयोजन के लिए किया जाता है जो उपधारा (1) में उल्लिखित है वहां प्रत्येक व्यक्ति जो पूर्वोक्त रीति में कारबार करने के लिए जानबूझकर पक्षकार था, कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए से कम का नहीं होगा किन्तु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(3) जहां किसी सीमित दायित्व भागीदारी या ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी के किसी भागीदार या अभिहित भागीदार या किसी कर्मचारी ने सीमित दायित्व भागीदारी के कार्य कपटपूर्ण रीति से किए हैं, वहां ऐसी किन्हीं दांडिक कार्यवाहियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जो तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन उद्भूत हों, सीमित दायित्व भागीदारी और ऐसा कोई भागीदार या अभिहित भागीदार या कर्मचारी किसी व्यक्ति को, जिसको ऐसे आचरण के कारण कोई हानि या नुकसानी हुई है, प्रतिकर का संदाय करने के लिए दायी होगाः
परंतु ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी तब दायी नहीं होगी, यदि ऐसे किसी भागीदार या अभिहित भागीदार या कर्मचारी ने सीमित दायित्व भागीदारी की जानकारी के बिना कपटपूर्वक कार्य किया है ।
31. निर्णायक कार्य-(1) न्यायालय या अधिकरण, किसी सीमित दायित्व भागीदारी के किसी भागीदार या कर्मचारी के विरुद्ध उद्ग्रहणीय किसी शास्ति को कम कर सकेगा या उसका अधित्यजन कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि: -
(क) सीमित दायित्व भागीदारी के ऐसे भागीदार या कर्मचारी ने ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी के अन्वेषण के दौरान उपयोगी सूचना उपलब्ध कराई है; या
(ख) जब किसी भागीदार या कर्मचारी द्वारा दी गई सूचना के आधार पर (चाहे अन्वेषण के दौरान हो या नहीं) सीमित दायित्व भागीदारी, या सीमित दायित्व भागीदारी के किसी भागीदार या कर्मचारी को इस अधिनियम या किसी अन्य अधिनियम के अधीन सिद्धदोष ठहराया जाता है ।
(2) किसी सीमित दायित्व भागीदारी के किसी भागीदार या किसी कर्मचारी को केवल इस कारण सेवोन्मुक्त, पदावनत, निलंबित, धमकाया, उत्पीड़ित न किया जाए या उसके साथ उसकी सीमित दायित्व भागीदारी या नियोजन के निबंधनों और शर्तों के विरुद्ध किसी अन्य रीति में विभेद न किया जाए कि उसने उपधारा (1) के अनुसरण में सूचना प्रदान की है या सूचना उपलब्ध कराई है ।
अध्याय 6
अभिदाय
32. अभिदाय का स्वरूप-(1) किसी भागीदार के अभिदाय में मूर्त, जंगम या स्थावर या अमूर्त संपत्ति या सीमित दायित्व भागीदारी में अन्य फायदे सम्मिलित हो सकेंगे, जिसके अंतर्गत धनराशि, वचनपत्र, नकद या संपत्ति के अभिदाय के लिए अन्य करार और की गई या की जाने वाली सेवाओं के लिए संविदाएं भी हैं ।
(2) प्रत्येक भागीदार के अभिदाय के अधीन घनीय मूल्य का लेखा रखा जाएगा और सीमित दायित्व भागीदारी के लेखाओं में ऐसी रीति में जो विहित की जाए, प्रकट किया जाएगा ।
33. अभिदाय करने की बाध्यता-(1) किसी सीमित दायित्व भागीदारी में धन या अन्य संपत्ति या अन्य फायदे का अभिदाय करने या उसके लिए कोई सेवा करने की किसी भागीदार की बाध्यता सीमित दायित्व भागीदारी के करार के अनुसार होगी ।
(2) किसी सीमित दायित्व भागीदारी का कोई लेनदार, जो उस करार में वर्णित किसी बाध्यता के आधार पर भागीदारों के बीच किसी समझौते की सूचना के बिना ऋण देता है या अन्यथा कार्य करता है, ऐसे भागीदार के विरुद्ध मूल बाध्यता को प्रवृत्त कर सकेगा ।
अध्याय 7
वित्तीय प्रकटन
34. लेखा बहियों, अन्य अभिलेखों का रखा जाना और उनकी संपरीक्षा, आदि-(1) सीमित दायित्व भागीदारी, अपनी विद्यमानता के प्रत्येक वर्ष के कामकाज के संबंध में, नकदी आधार पर या प्रोद्भवन आधार पर ऐसी समुचित लेखा बहियां, जो विहित की जाएं, और लेखा की दोहरी प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार रखेगी और उन्हें ऐसी अवधि के लिए, जो विहित की जाए अपने रजिस्ट्रीकृत कार्यालय में रखेगी ।
(2) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत से छह मास की अवधि के भीतर, उक्त वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन तक का उक्त वित्तीय वर्ष के लिए लेखा और शोधन क्षमता का विवरण ऐसे प्ररूप में जो विहित किया जाए तैयार करेगी और ऐसा विवरण सीमित दायित्व भागीदारी के अभिहित भागीदारों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा ।
(3) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी उपधारा (2) के अनुसरण में तैयार किए गए लेखा और शोधन क्षमता का विवरण प्रत्येक वर्ष विहित समय के भीतर ऐसे प्ररूप और रीति में और ऐसी फीस सहित, जो विहित की जाएं, रजिस्ट्रार को फाइल करेगी ।
(4) सीमित दायित्व भागीदारी के लेखाओं की संपरीक्षा ऐसे नियमों के अनुसार, जो विहित किए जाएं, की जाएगी:
परन्तु केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, सीमित दायित्व भागीदारी के किसी वर्ग या वर्गों को इस उपधारा की अपेक्षाओं से छूट प्रदान कर सकेगी ।
(5) ऐसी कोई सीमित दायित्व भागीदारी, जो इस धारा के उपबंधों का अनुपालन करने में असफल रहती है, जुर्माने से, जो पच्चीस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किंतु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी और ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक अभिहित भागीदार जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा किंतु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
35. वार्षिक विवरणी-(1) प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी, अपने वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के साठ दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास ऐसे प्ररूप और रीति में, और ऐसी फीस सहित, जो विहित की जाए, सम्यक् रूप से अधिप्रमाणित एक वार्षिक विवरणी फाइल करेगी ।
(2) ऐसी कोई सीमित दायित्व भागीदारी, जो इस धारा के उपबंधों के अनुपालन में असफल रहती है, जुर्माने से, जो पच्चीस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किंतु जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी ।
(3) यदि सीमित दायित्व भागीदारी इस धारा के उपबंधों का उल्लंघन करती है, तो ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी का अभिहित भागीदार, जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा किंतु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
36. रजिस्ट्रार द्वारा रखे गए दस्तावेजों का निरीक्षण-प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा रजिस्ट्रार को फाइल किए गए निगमन दस्तावेज, भागीदारों के नाम और उसमें किए गए परिवर्तन, यदि कोई हों, लेखा और शोधन क्षमता विवरण तथा वार्षिक विवरणी किसी व्यक्ति द्वारा ऐसी रीति में और ऐसी फीस के संदाय पर जो विहित की जाए, निरीक्षण के लिए उपलब्ध होंगी ।
37. मिथ्या कथन के लिए शास्ति-यदि इस अधिनियम के किसी उपबंध द्वारा अपेक्षित या उसके प्रयोजनों के लिए किसी विवरणी, विवरण या अन्य दस्तावेज में कोई व्यक्ति ऐसा कथन करता है, -
(क) जो किसी सारवान् विशिष्टि में मिथ्या है और उसे उसके मिथ्या होने का ज्ञान है; या
(ख) जो किसी सारवान् तथ्य का सारवान् होने की जानकारी होते हुए लोप करता है,
तो वह, इस अधिनियम में अभिव्यक्त रूप से जैसा अन्यथा उपबंधित है उसके सिवाय, कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा और जुर्माने का भी, जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा किन्तु जो एक लाख रुपए से कम का नहीं होगा, दायी होगा ।
38. सूचना प्राप्त करने की रजिस्ट्रार की शक्ति-(1) ऐसी सूचना प्राप्त करने के उद्देश्य से, जो इस अधिनियम के उपबंधों को क्रियान्वित करने के प्रयोजनों के लिए रजिस्ट्रार आवश्यक समझे, रजिस्ट्रार सीमित दायित्व भागीदारी के वर्तमान से पूर्व भागीदार या अभिहित या कर्मचारी सहित किसी व्यक्ति से युक्तियुक्त अवधि के भीतर किसी प्रश्न का उत्तर देने या कोई घोषणा करने या कोई ब्यौरे या विशिष्टियां प्रदाय करने की लिखित में अपेक्षा कर सकेगा ।
(2) यदि उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति रजिस्ट्रार द्वारा मांगे गए ऐसे प्रश्न का उत्तर नहीं देता है या ऐसी घोषणा नहीं करता है या ऐसे ब्यौरों या विशिष्टियों का युक्तियुक्त समय या रजिस्ट्रार द्वारा दिए गए समय के भीतर प्रदाय नहीं करता है, या जब रजिस्ट्रार का ऐसे व्यक्ति द्वारा दिए गए उत्तर या घोषणा या उपलब्ध कराए गए ब्यौरे या विशिष्टियों से समाधान नहीं होता है तो रजिस्ट्रार को उस व्यक्ति को उसके समक्ष या किसी निरीक्षक या किसी अन्य लोक अधिकारी के समक्ष, जिसे रजिस्ट्रार अभिहित करे, यथास्थिति, ऐसे प्रश्न का उत्तर देने या घोषणा करने या ऐसे ब्यौरों का प्रदाय करने के लिए उपस्थित होने के लिए समन करने की शक्ति होगी ।
(3) कोई व्यक्ति, जो किसी विधिमान्य कारण के बिना, इस धारा के अधीन किसी समन या रजिस्ट्रार की अध्यपेक्षा का अनुपालन करने में असफल रहता है, जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो पच्चीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
39. अपराधों का शमन-केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के अधीन ऐसे किसी अपराध का, जो केवल जुर्माने से दंडनीय है, ऐसे व्यक्ति से, जिसके बारे में युक्तियुक्त रूप से संदेह है कि उसने अपराध किया है ऐसी राशि का, जो अपराध के लिए विहित अधिकतम जुर्माने की रकम तक की हो सकेगी, संग्रहण करके, शमन कर सकेगी ।
40. पुराने अभिलेखों का नष्ट किया जाना-रजिस्ट्रार, भौतिक रूप में या इलेक्ट्रानिक रूप में उसके पास फाइल किए गए या रजिस्ट्रीकृत किसी दस्तावेज को ऐसे नियमों के, जो विहित किए जाएं, अनुसार नष्ट कर सकेगा ।
41. विवरणी आदि देने के कर्तव्य का प्रवर्तन-यदि कोई सीमित दायित्व भागीदारी, -
(क) इस अधिनियम या किसी अन्य विधि के किसी उपबंध का, जो किसी रीति में रजिस्ट्रार के पास कोई विवरणी, लेखा या अन्य दस्तावेज फाइल करने या किसी विषय की उसको सूचना देने की अपेक्षा करता है, अनुपालन करने में व्यतिक्रम करती है; या
(ख) किसी दस्तावेज को संशोधित करने या पूरा करने और पुनः प्रस्तुत करने या नए सिरे से कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने के रजिस्ट्रार के किसी अनुरोध का अनुपालन करने में व्यतिक्रम करती है,
और सीमित दायित्व भागीदारी पर उससे ऐसा करने की अपेक्षा करने वाली सूचना की तामील के पश्चात् चौदह दिन के भीतर व्यतिक्रम को दूर करने में असफल रहती है, तो अधिकरण, रजिस्ट्रार द्वारा आवदेन पर, उस सीमित दायित्व भागीदारी या उसके अभिहित भागीदारों या उसके भागीदारों को यह निदेश करते हुए आदेश कर सकेगा कि वे ऐसे समय के भीतर, जो आदेश में विनिर्दिष्ट है, व्यतिक्रम को दूर करें ।
(2) ऐसे किसी आदेश में यह उपबंध हो सकेगा कि आवेदन के सभी खर्चे और उसके आनुषंगिक व्यय उस सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा वहन किए जाएंगे ।
(3) इस धारा की कोई बात, इस धारा में निर्दिष्ट किसी व्यतिक्रम के संबंध में उस सीमित दायित्व भागीदारी पर शास्ति अधिरोपित करने वाले इस अधिनियम या किसी अन्य विधि के किसी अन्य उपबंध के प्रवर्तन को सीमित नहीं करेगी ।
अध्याय 8
भागीदारी अधिकारों का समनुदेशन और अंतरण
42. भागीदार का अंतरणीय हित-(1) सीमित दायित्व भागीदारी करार के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी के लाभ और हानियों में हिस्सा बंटाने और वितरण प्राप्त करने के भागीदार के अधिकार पूर्णतः या भागतः अंतरणीय हैं ।
(2) उपधारा (1) के अनुसरण में किसी भागीदार द्वारा किसी अधिकार के अंतरण से ही सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार का असहयोजन या विघटन और परिसमापन नहीं हो जाता है ।
(3) इस धारा के अनुसरण में अधिकारों के अंतरण से ही अंतरिती या समनुदेशिती सीमित दायित्व भागीदारी के प्रबंध में भाग लेने या उसके क्रियाकलापों को संचालित करने का या सीमित दायित्व भागीदारी के संव्यवहारों से संबंधित सूचना तक पहुंच प्राप्त करने का हकदार नहीं बन जाता है ।
अध्याय 9
अन्वेषण
43. सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण-(1) केन्द्रीय सरकार, सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण करने और उस पर ऐसी रीति में, जो वह निदेश दे, रिपोर्ट देने के लिए निरीक्षक के रूप में एक या अधिक सक्षम व्यक्तियों को नियुक्त करेगी, यदि-
(क) अधिकरण, या तो स्वःप्ररेणा से या सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों की कुल संख्या के एक बटा पांच से अन्यून भागीदारों से प्राप्त किसी आवेदन पर, आदेश द्वारा यह घोषणा करता है कि सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण किया जाना चाहिए; या
(ख) कोई न्यायालय, आदेश द्वारा यह घोषणा करता है कि किसी सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण किया जाना चाहिए ।
(2) केन्द्रीय सरकार किसी सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण करने और उस पर ऐसी रीति में जो वह निदेश दे, रिपोर्ट देने के लिए, निरीक्षक के रूप में एक या अधिक सक्षम व्यक्तियों को नियुक्त कर सकेगी ।
(3) उपधारा (2) के अनुसरण में निरीक्षक की नियुक्ति निम्नलिखित दशा में की जा सकेगी, -
(क) यदि सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों की कुल संख्या के एक बटा पांच से अन्यून भागीदार समर्थक साक्ष्य और ऐसी प्रतिभूति रकम के साथ, जो विहित की जाए, आवेदन करते हैं; या
(ख) यदि सीमित दायित्व भागीदारी ऐसा आवेदन करती है कि सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण किया जाना चाहिए; या
(ग) यदि केन्द्रीय सरकार की राय में, यह सुझाव देने वाली परिस्थितियां हैं कि-
(i) सीमित दायित्व भागीदारी का कारबार उसके लेनदारों, भागीदारों या किसी अन्य व्यक्ति को कपट वंचित करने के आशय से या अन्यथा किसी कपटपूर्ण या विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए या उसके किन्हीं या किसी भागीदार के प्रतिकूल किसी अन्यायपूर्ण या अनुचित रीति में किया जा रहा है या किया गया है या सीमित दायित्व भागीदारी किसी कपटपूर्ण या विधिविरुद्ध प्रयोजन के लिए बनाई गई थी; या
(ii) सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार नहीं किए जा रहे हैं; या
(iii) रजिस्ट्रार या किसी अन्य अन्वेषण या विनियामक अभिकरण की रिपोर्ट प्राप्त होने पर, पर्याप्त कारण हैं कि सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण किया जाना चाहिए ।
44. अन्वेषण के लिए भागीदारों द्वारा आवेदन-धारा 43 की उपधारा (1) के खंड (क) के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों द्वारा आवेदन के समर्थन में ऐसा साक्ष्य दिया जाएगा जो अधिकरण यह दर्शित करने के प्रयोजन के लिए अपेक्षा करे कि आवेदकों के पास अन्वेषण की अपेक्षा करने के लिए ठोस कारण है, और केन्द्रीय सरकार, निरीक्षक को नियुक्त करने से पूर्व, आवेदकों से अन्वेषण के खर्चों के संदाय के लिए ऐसी राशि की, जो विहित की जाए, प्रतिभूति देने की अपेक्षा कर सकेगी ।
45. फर्म, निगम निकाय या संगम को निरीक्षक के रूप में नियुक्त न किया जाना-किसी फर्म, निगम निकाय या अन्य संगम को निरीक्षक के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा ।
46. संबंधित अस्तित्वों आदि के कामकाज का अन्वेषण करने की निरीक्षकों की शक्ति-(1) यदि सीमिति दायित्व भागीदारी के कामकाज का अन्वेषण करने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त निरीक्षक अपने अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए किसी ऐसे अस्तित्व के कामकाज का अन्वेषण करना भी आवश्यक समझता है, जो सीमित दायित्व भागीदारी या सीमित दायित्व भागीदारी के किसी वर्तमान या पूर्व भागीदार या अभिहित भागीदार से पूर्व में सहयोजित रहा है या वर्तमान में सहयोजित है तो निरीक्षक को ऐसा करने की शक्ति होगी और अन्य अस्तित्व या भागीदार या अभिहित भागीदार के कामकाज की, जहां तक वह यह समझता है कि उसके अन्वेषण के परिणाम सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज के अन्वेषण से सुसंगत हैं, रिपोर्ट करेगा ।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अस्तित्व या भागीदार या अभिहित भागीदार की दशा में, निरीक्षक, केन्द्रीय सरकार का पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए बिना उसके कामकाज का अन्वेषण करने और उस पर रिपोर्ट देने की अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेगा:
परंतु इस उपधारा के अधीन अनुमोदन प्रदान करने से पूर्व, केन्द्रीय सरकार, अस्तित्व या भागीदार या अभिहित भागीदार को यह हेतुक दर्शित करने के लिए कि ऐसा अनुमोदन क्यों नहीं प्रदान किया जाना चाहिए, युक्तियुक्त अवसर देगी ।
47. दस्तावेजों और साक्ष्य का प्रस्तुत किया जाना-(1) सीमित दायित्व भागीदारी के अभिहित भागीदार और भागीदारों का यह कर्तव्य होगा कि-
(क) वे, यथास्थिति, सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य अस्तित्व के या उससे संबंधित सभी बहियों और कागजपत्रों को, जो उनकी अभिरक्षा में या शक्ति के अधीन हैं, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से निरीक्षक या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष प्रस्तुत करें; और
(ख) अन्वेषण के संबंध में ऐसी सभी सहायता निरीक्षक को दें, जिसे देने में वे युक्तियुक्त रूप से समर्थ हैं ।
(2) निरीक्षक, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, उपधारा (1) में निर्दिष्ट अस्तित्व से भिन्न किसी अस्तित्व से, उस सरकार के पूर्व अनुमोदन से उसके या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति को ऐसी सूचना देने या उसके सक्षम ऐसी बहियों और कागजपत्रों को प्रस्तुत करने की अपेक्षा कर सकेगा, जो वह आवश्यक समझे, यदि ऐसी सूचना देना या ऐसी बहियों या कागजपत्रों को प्रस्तुत करना उसके अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए सुसंगत या आवश्यक है ।
(3) निरीक्षक, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन प्रस्तुत किन्हीं बहियों और कागजपत्रों को तीस दिन के लिए अपनी अभिरक्षा में रख सकेगा और तत्पश्चात् उन्हें सीमित दायित्व भागीदारी, अन्य अस्तित्व या व्यष्टि को, जिसके द्वारा या जिसकी ओर से बहियां और कागजपत्र प्रस्तुत किए गए हैं, लौटा देगा:
परंतु निरीक्षक बहियों और कागजपत्रों को, यदि उनकी पुनः आवश्यकता पड़े, मंगा सकेगा:
परंतु यह और कि यदि उपधारा (2) के अधीन प्रस्तुत बहियों और कागजपत्रों की अधिप्रमाणित प्रतियां निरीक्षक को प्रस्तुत की जाती हैं, तो वह संबंधित अस्तित्व या व्यक्ति को बहियां और कागजपत्र लौटा देगा ।
(4) कोई निरीक्षक शपथ पर निम्नलिखित की जांच कर सकेगा-
(क) उपधारा (1) में निर्दिष्ट व्यक्तियों में से कोई व्यक्ति;
(ख) केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, यथास्थिति, सीमित दायित्च भागीदारी या किसी अन्य अस्तित्व के कामकाज से संबंधित कोई अन्य व्यक्ति; और
(ग) तद्नुसार शपथ दिला सकेगा और उस प्रयोजन के लिए उन व्यक्तियों में से किसी व्यक्ति से, अपने समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अपेक्षा कर सकेगा ।
(5) यदि कोई व्यक्ति युक्तियुक्त कारण के बिना-
(क) केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से निरीक्षक या इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति के समक्ष कोई ऐसी बही या कागजपत्र प्रस्तुत करने में, जिसे प्रस्तुत करना उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन उसका कर्तव्य है; या
(ख) ऐसी कोई जानकारी देने में, जिसका दिया जाना उपधारा (2) के अधीन उसका कर्तव्य है;
(ग) निरीक्षक के समक्ष तब व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में, जब उपधारा (4) के अधीन ऐसा करने की अपेक्षा की जाए या किसी प्रश्न का उत्तर देने में, जो उस उपधारा के अनुसरण में निरीक्षक द्वारा पूछा जाए ; या
(घ) किसी जांच के टिप्पणों पर हस्ताक्षर करने में, असफल रहता है या उससे इंकार करता है, तो वह जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम का नहीं होगा किंतु जो पच्चीस हजाए रुपए तक का हो सकेगा और अतिरिक्त जुर्माने से, जो पहले दिन के पश्चात्, जिसके पश्चात् व्यतिक्रम जारी रहता है, प्रत्येक दिन के लिए पचास रुपए से कम का नहीं होगा किंतु जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(6) उपधारा (4) के अधीन किसी जांच के टिप्पण लेखबद्ध किए जाएंगे और उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किए जाएंगे, जिसकी शपथ पर परीक्षा की गई थी और ऐसे टिप्पणों की एक प्रति उस व्यक्ति को दी जाएगी, जिसकी इस प्रकार शपथ पर परीक्षा की गई है तथा उसके पश्चात् उसे निरीक्षक द्वारा साक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जाएगा ।
48. निरीक्षक द्वारा दस्तावेजों का अभिग्रहण-(1) जहां, अन्वेषण के दौरान, निरीक्षक के पास यह विश्वास करने का युक्तियुक्त आधार है कि सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य अस्तित्व या ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार या अभिहित भागीदार की या उससे संबंधित बहियों और कागजपत्रों को नष्ट, विरूपित, उनमें फेरफार, मिथ्याकृत किया जा सकता है या उन्हें छिपाया जा सकता है, तो निरीक्षक, यथास्थिति, उस प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट को, जिसकी अधिकारिता है, ऐसी बहियों और कागजपत्रों को अभिग्रहण करने के आदेश के लिए आवेदन कर सकेगा ।
(2) मजिस्ट्रेट, आवेदन पर विचार करने और निरीक्षक की सुनवाई करने के पश्चात्, यदि आवश्यक हो, आदेश द्वारा निरीक्षक को-
(क) उस स्थान या स्थानों में, जहां ऐसी बहियां और कागजपत्र रखे गए हैं, ऐसी सहायता सहित, जो अपेक्षित हो, प्रवेश करने;
(ख) आदेश में विनिर्दिष्ट रीति में उस स्थान या उन स्थानों की तलाशी लेने;
(ग) उन बहियों और कागजपत्रों का, जिन्हें निरीक्षक अपने अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए आवश्यक समझे, अभिग्रहण करने, के लिए प्राधिकृत कर सकेगा ।
(3) निरीक्षक, इस धारा के अधीन अभिगृहीत बहियों और कागजपत्रों को अन्वेषण के निष्कर्ष के अपश्चात् की ऐसी अवधि के लिए, जो वह आवश्यक समझे, अपनी अभिरक्षा में रखेगा और तत्पश्चात् उन्हें संबंधित अस्तित्व या व्यक्ति को, जिसकी अभिरक्षा या शक्ति से वे अभिगृहीत किए गए थे, लौटा देगा और ऐसे लौटाए जाने की सूचना मजिस्ट्रेट को देगा:
परंतु बहियां और कागजपत्र छह मास से अधिक की लगातार अवधि के लिए अभिगृहीत नहीं रखे जाएंगे:
परंतु यह और =कि निरीक्षक, यथापूर्वोक्त ऐसी बहियों और कागजपत्रों को लौटाने से पूर्व, उन पर या उनके किसी भाग पर पहचान चिह्न लगा सकेगा ।
(4) इस धारा में यथा अन्यथा उपबंधित के सिवाय, इस धारा के अधीन की गई प्रत्येक तलाशी या अभिग्रहण, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के अधीन की गई तलाशियों या अभिग्रहणों से संबंधित उस संहिता के उपबंधों के अनुसार दिया जाएगा ।
49. निरीक्षक की रिपोर्ट-(1) निरीक्षक, और यदि केन्द्रीय सरकार द्वारा ऐसा निदेश दिया जाए, उस सरकार को अंतरिम रिपोर्ट देंगे और अन्वेषण के निष्कर्ष पर केन्द्रीय सरकार को अंतिम रिपोर्ट देंगे और ऐसी रिपोर्ट लिखित में या मुद्रित रूप में होगी, जैसा केन्द्रीय सरकार निदेश दे ।
(2) केन्द्रीय सरकार, -
(क) निरीक्षकों द्वारा दी गई किसी रिपोर्ट (अंतरिम रिपोर्ट से भिन्न) की एक प्रति सीमित दायित्व भागीदारी को, उसके रजिस्ट्रीकृत कार्यालय पर और रिपोर्ट में कार्रवाई किए गए या उससे संबंधित किसी अन्य अस्तित्व या व्यक्ति को भी भेजेगी;
(ख) यदि, वह ठीक समझे, तो उसकी एक प्रति रिपोर्ट से संबंधित या उससे प्रभावित किसी व्यक्ति या अस्तित्व को, अनुरोध पर और विहित फीस के संदाय पद दे सकेगी ।
50. अभियोजन-यदि, धारा 49 के अधीन रिपोर्ट से, केन्द्रीय सरकार को यह प्रतीत होता है कि सीमित दायित्व भागीदारी के संबंध में या किसी अन्य अस्तित्व के संबंध में, जिसके कामकाज का अन्वेषण किया गया है, कोई व्यक्ति किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी रहा है, जिसके लिए वह दायी है, तो केन्द्रीय सरकार, उस अपराध के लिए ऐसे व्यक्ति का अभियोजन कर सकेगी; और, यथास्थिति, सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य अस्तित्व के सभी भागीदारों, अभिहित भागीदारों और अन्य कर्मचारियों तथा अभिकर्ताओं के अभियोजन के संबंध में, केन्द्रीय सरकार को ऐसी सभी सहायता देने का कर्तव्य होगा, जिसे देने के लिए वे युक्तियुक्त रूप से समर्थ हैं ।
51. सीमित दायित्व भागीदारी के परिसमापन के लिए आवेदन-यदि ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन परिसमापन किए जाने के लिए दायी है और धारा 49 के अधीन किसी ऐसी रिपोर्ट से केन्द्रीय सरकार को यह प्रतीत होता है कि किन्हीं ऐसी अन्य परिस्थितियों के कारण जो धारा 43 की उपधारा (3) के खंड (ग) के उपखंड (i) या उपखंड (ii) में निर्दिष्ट हैं, ऐसा करना समीचीन है, तो केन्द्रीय सराकर जब तक कि सीमित दायित्व भागीदारी का अधिकरण द्वारा पहले से परिसमापन नहीं कर दिया जाता है, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा, इस आधार पर कि इसका परिसमापन किया जाना न्यायंसगत तथा साम्यापूर्ण है, सीमित दायित्व भागीदारी के परिसमापन के लिए अधिकरण के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत कराएगी ।
52. नुकसानी या संपत्ति की वसूली के लिए कार्यवाहियां-यदि धारा 49 के अधीन किसी रिपोर्ट से केन्द्रीय सरकार को यह प्रतीत होता है कि लोकहित में सीमित दायित्व भागीदारी या किसी अन्य अस्तित्व द्वारा, जिसके कार्यों का अन्वेषण किया गया है, -
(क) ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी या ऐसे अन्य अस्तित्व के संवर्धन या विरचना या प्रबन्ध के संबंध में कोई कपट, अपकरण या अन्य कदाचार की बाबत नुकसानियों की वसूली के लिए; या
(ख) ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी या ऐसे अन्य अस्तित्व की किसी सम्पत्ति की, जिसका दुरुपयोजन किया गया है या जिसे सदोष प्रतिधारित किया गया है, वसूली के लिए, कार्यवाहियां की जानी चाहिएं, तो केन्द्रीय सरकार, उस प्रयोजन के लिए स्वयं कार्यवाही कर सकेगी ।
53. अन्वेषण के खर्चे-(1) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त निरीक्षक द्वारा अन्वेषण के और उसके आनुषंगिक खर्चों को प्रथम बार केन्द्रीय सरकार द्वारा चुकाया जाएगा; किन्तु निम्नलिखित व्यक्ति नीचे वर्णित सीमा तक केन्द्रीय सरकार को ऐसे खर्चों की बाबत प्रतिपूर्ति करने के लिए दायी होंगे, अर्थात्ः-
(क) ऐसे किसी व्यक्ति को, जो अभियोजन पर सिद्धदोष ठहराया गया है या जिसे धारा 52 के आधार पर की गई कार्यवाहियों में किसी सम्पत्ति की नुकसानी के लिए संदाय करने या बहाली का आदेश दिया गया है उन्हीं कार्यवाहियों में, उस सीमा तक उक्त खर्चों का संदाय करने के लिए आदेश दिया जा सकेगा, जो, यथास्थिति, ऐसे व्यक्ति को सिद्धदोष ठहराने वाले या ऐसी नुकसानियों का संदाय करने का आदेश करने वाले या ऐसी सम्पत्ति की बहाली करने वाले न्यायालय द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए;
(ख) कोई अस्तित्व जिसके नाम में यथापूर्वोक्त कार्यवाहियां की जाती हैं, कार्यवाहियों के परिणामस्वरूप उसके द्वारा वसूल की गई किसी धनराशि या सम्पत्ति की रकम या मूल्य की सीमा तक दायी होगा;
(ग) जब तक अन्वेषण के परिणामस्वरूप धारा 50 के अनुसरण में कोई अभियोजन संस्थित नहीं किया जाता तक तक, -
(i) निरीक्षक की रिपोर्ट से संबंधित कोई अस्तित्व, भागीदार या अभिहित भागीदार या कोई अन्य व्यक्ति केन्द्रीय सरकार को संपूर्ण व्ययों की बाबत प्रतिपूर्ति करने का तब तक और उस सीमा तक दायी होगा जब तक केन्द्रीय सरकार अन्यथा निदेश न दे; और
(ii) जहां धारा 43 की उपधारा (1) के खंड (क) के उपबन्धों के अनुसरण में निरीक्षक की नियुक्ति की गई थी, वहां अन्वेषण के लिए आवेदक, उस सीमा तक, यदि कोई हो, जो केन्द्रीय सरकार निर्दिष्ट करे, दायी होंगे ।
(2) ऐसी कोई रकम, जिसके लिए सीमित दायित्व भागीदारी या अन्य अस्तित्व उपधारा (1) के खंड (ख) के आधार पर दायी है, उस खंड मे वर्णित धनराशियों या संपत्ति पर पहला प्रभार होगी ।
(3) उन व्ययों की रकम, जिनकी बाबत कोई सीमित दायित्च भागीदारी, अन्य अस्तित्व, कोई भागीदार या अन्य अभिहित भागीदार या कोई अन्य व्यक्ति उपधारा (1) के खंड (ग) के उपखंड (i) के अधीन केन्द्रीय सरकार को प्रतिपूर्ति करने के लिए दायी है, भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूलनीय होगी ।
(4) इस धारा के प्रयोजनों के लिए, केन्द्रीय सरकार द्वारा उपगत या धारा 52 के आधार पर की गई कार्यवाहियों के संबंध में उपगत कोई लागत या व्यय, कार्यवाहियों को चलाने के लिए अन्वेषण के व्यय समझे जाएंगे ।
54. निरीक्षक की रिपोर्ट का साक्ष्य होना-इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन नियुक्त किसी निरीक्षक या किन्हीं निरीक्षकों की रिपोर्ट, यदि कोई हो, की ऐसी रीति में जो विहित की जाए, अधिप्रमाणित प्रति, रिपोर्ट में अन्तर्विष्ट किसी विषय के संबंध में साक्ष्य के रूप में किसी विधिक कार्यवाही में ग्राह्य होगी ।
अध्याय 10
सीमित दायित्व भागीदारी का संपरिवर्तन
55. फर्म से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन-कोई फर्म, इस अध्याय और दूसरी अनुसूची के उपबंधों के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो सकेगी ।
56. प्राइवेट कंपनी से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन-कोई प्राइवेट कंपनी इस अध्याय और तीसरी अनुसूची के उपबंधों के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो सकेगी ।
57. असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन-कोई असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी इस अध्याय और चौथी अनुसूची के उपबंधों के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो सकेगी ।
58. रजिस्ट्रीकरण और संपरिवर्तन का प्रभाव-(1) रजिस्ट्रार, यह समाधान हो जाने पर कि, यथास्थिति, किसी फर्म, प्राइवेट कंपनी या असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी ने दूसरी अनुसूची, तीसरी अनुसूची या चौथी अनुसूची के उपबंधों का अनुपालन किया है, इस अधिनियम के उपबंधों और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन रहते हुए, ऐसी अनुसूची के अधीन प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को रजिस्टर करेगा और यह कथन करते हुए कि सीमित दायित्व भागीदारी प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट तारीख से ही इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत की गई है, ऐसे प्ररूप में, जो रजिस्ट्रार अवधारित करे, रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र जारी करेगा :
परंतु सीमित दायित्व भागीदारी, रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर, यथास्थिति, संबंधित फर्म रजिस्ट्रार या कंपनी रजिस्ट्रार को, जिसके पास वह, यथास्थिति, भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) या कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के उपबंधों के अधीन रजिस्ट्रीकृत थी, सीमित दायित्व भागीदारी के संपरिवर्तन और उसकी विशिष्टियों के बारे में ऐसी रीति और प्ररूप में सूचना देगी, जो केंद्रीय सरकार विहित करे ।
(2) ऐसे संपरिवर्तन पर, फर्म के भागीदार, यथास्थिति, प्राइवेट कंपनी या असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी के शेयरधारक वह सीमित दायित्व भागीदारी जिसमें ऐसी फर्म या ऐसी कंपनी संपरिवर्तित की गई है और सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार, यथास्थिति, दूसरी अनुसूची, तीसरी अनुसूची या चौथी अनुसूची के उन उपबंधों से आबद्ध होंगे जो उन्हें लागू हों ।
(3) ऐसे संपरिवर्तन पर, रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र की तारीख से ही संपरिवर्तन के प्रभाव ऐसे होंगे, जो, यथास्थिति, दूसरी अनुसूची, तीसरी अनुसूची या चौथी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं ।
(4) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, यथास्थिति, दूसरी अनुसूची, तीसरी अनुसूची या चौथी अनुसूची के अधीन जारी रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट तारीख से ही, -
(क) रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट नाम से इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत सीमित दायित्व भागीदारी होगी;
(ख) यथास्थिति, फर्म या कंपनी में निहित सभी मूर्त (जंगम या स्थावर) और अमूर्त संपत्ति, यथास्थिति, फर्म या कंपनी से संबंधित सभी आस्तियां, हित, अधिकार, विशेषाधिकार, दायित्व, बाध्याएं और, यथास्थिति, फर्म या कंपनी के संपूर्ण उपक्रम किसी और आश्वासन, कार्रवाई या विलेख के बिना सीमित दायित्व भागीदारी में अंतरित हो जाएंगे और उसमें निहित हो जाएंगे; और
(ग) यथास्थिति, फर्म या कंपनी विघटित हुई और, यथास्थिति, फर्म रजिस्ट्रार या कंपनी रजिस्ट्रार के अभिलेख से हटा दी गई समझी जाएगी ।
अध्याय 11
विदेशी सीमित दायित्व भागीदारी
59. विदेशी सीमित दायित्व भागीदारी-केन्द्रीय सरकार, कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के उपबंधों को ऐसे उपांतरणों सहित, जो समुचित प्रतीत हों, या ऐसी संरचना वाले ऐसे विनियामक तंत्र को, जो विहित किया जाए, लागू या सम्मिलित करके भातर में विदेशी सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा कारबार के स्थान की स्थापना करने और उनमें अपने कारबार करने के संबंध में उपबंध करने के लिए नियम बना सकेगी ।
अध्याय 12
सीमित दायित्व भागीदारी का समझौता, ठहराव या पुर्नीमाण
60. सीमित दायित्व भागीदारी का समझौता या ठहराव-(1) जहां, -
(क) किसी सीमित दायित्च भागीदारी और उसके लेनदारों के बीच; या
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी और उसके भागीदारों के बीच,
समझौता या ठहराव का प्रस्ताव है, वहां अधिकरण, सीमित दायित्व भागीदारी या सीमित दायित्व भागीदारी के किसी लेनदार या भागीदार के या ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी की दशा में, जिसका परिसमापन किया जा रहा है, समापक के आवेदन पर ऐसी रीति में, जो विहित की जाए या अधिकरण निदेश दे, यथास्थिति, लेनदारों या भागीदारों का अधिवेशन बुलाए जाने, आयोजित और संचालित किए जाने का आदेश कर सकेगा ।
(2) यदि अधिवेशन में, यथास्थिति, लेनदारों या भागीदारों के मूल्य में तीन-चौथाई का प्रतिनिधित्व करने वाला बहुमत किसी समझौते या ठहराव के लिए सहमत हो जाता है तो समझौता या ठहराव, यदि अधिकरण द्वारा मंजूर किया गया हो, आदेश द्वारा, यथास्थिति, सभी लेनदारों या भागीदारों पर और सीमित दायित्व भागीदारी या ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी की दशा में, जिसका परिसमापन किया जा रहा है, समापक पर और सीमित दायित्व भागीदारी के अभिदायकर्ताओं पर भी आबद्धकर होगा:
परंतु अधिकरण द्वारा किसी समझौते या ठहराव को मंजूरी देने वाला कोई आदेश तभी किया जाएगा जब अधिकरण का यह समाधान हो जाता है कि सीमित दायित्व भागीदारी या ऐसे किसी अन्य व्यक्ति ने, जिसके द्वारा उपधारा (1) के अधीन आवेदन किया गया है, शपथपत्र द्वारा या अन्यथा अधिकरण को सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित सभी तात्त्विक तथ्यों को, जिनके अंतर्गत सीमित दायित्व भागीदारी की नवीतनम वित्तीय स्थिति और सीमित दायित्व भागीदारी के संबंध में लंबित कोई अन्वेषण कार्यवाहियां भी हैं, प्रकट कर दिया है ।
(3) उपधारा (2) के अधीन अधिकरण द्वारा किया गया आदेश सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा, ऐसा आदेश किए जाने के पश्चात् तीस दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास फाइल किया जाएगा और वह इस प्रकार फाइल किए जाने के पश्चात् ही प्रभावी होगा ।
(4) यदि उपधारा (3) का अनुपालन करने में व्यतिक्रम किया जाता है, सीमित दायित्व भागीदारी और सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक अभिहित भागीदार, जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(5) अधिकरण, इस धारा के अधीन उसे आवेदन किए जाने के पश्चात्, किसी समय, सीमित दायित्व भागीदारी के विरुद्ध किसी वाद या कार्यवाही के आंरभ किए जाने या जारी रखे जाने को, ऐसे निबंधनों पर, जो अधिकरण ठीक समझे, आवेदन को अंतिम रूप से निपटाए जाने तक रोक सकेगा ।
61. समझौता या ठहराव लागू करने की अधिकरण की शक्ति-(1) जहां अधिकरण, धारा 60 के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी की बाबत समझौता या ठहराव को मंजूर करने वाला कोई आदेश करता है, वहां, -
(क) उसे समझौते या ठहराव के क्रियान्वयन का अधीक्षण करने की शक्ति होगी; और
(ख) वह ऐसा आदेश किए जाने के समय या उसके पश्चात् किसी भी समय, किसी विषय के संबंध में ऐसे निदेश दे सकेगा या समझौते या ठहराव में ऐसे उपांतरण कर सकेगा, जो वह समझौते या ठहराव के समुचित कार्यकरण के लिए आवश्यक समझे ।
(2) यदि पूर्वोक्त अधिकरण का यह समाधान हो जाता है कि धारा 60 के अधीन मंजूर किया गया कोई समझौता या ठहराव उपांतरणों सहित या उसके बिना समाधानप्रद रूप में कार्यान्वित नहीं किया जा सकता है तो वह, स्वप्रेरणा से या सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज में हितबद्ध किसी व्यक्ति के आवदेन पर, सीमित दायित्व भागीदारी के परिसमापन के लिए आदेश कर सकेगा और ऐसा आदेश इस अधिनियम की धारा 64 के अधीन किया गया आदेश समझा जाएगा ।
62. सीमित दायित्व भागीदारी के पुनर्निर्माण या समामेलन को सुकर बनाने के लिए उपबंध-(1) जहां किसी सीमित दायित्व भागीदारी और किन्हीं ऐसे व्यक्तियों के बीच, जो उस धारा में वर्णित हैं, प्रस्तावित समझौते या ठहराव की मंजूरी के लिए धारा 60 के अधीन कोई आवेदन अधिकरण को किया जाता है और अधिकरण को यह दर्शित किया जाता है कि-
(क) समझौता या ठहराव किसी सीमित दायित्व भागीदारी या सीमित दायित्व भागीदारियों के पुनर्निर्माण या किन्हीं दो या अधिक सीमित दायित्व भागीदारियों के समामेलन की स्कीम के प्रयोजनों या उसके संबंध में प्रस्तावित किया गया है; और
(ख) स्कीम के अधीन संबंधित किसी सीमित दायित्व भागीदारी का (जिसे इस धारा में अंतरक सीमित दायित्व भागीदारी" कहा गया है) संपूर्ण उपक्रम, संपत्ति या दायित्व या उसका कोई भाग किसी दूसरी सीमित दायित्व भागीदारी में (जिसे इस धारा अंतरिती सीमित दायित्व भागीदारी" कहा गया है) अंतरित किया जाना है,
वहां अधिकरण, समझौते या ठहराव की मंजूरी देने वाले आदेश द्वारा या पश्चात्वर्ती आदेश द्वारा निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेगा, अर्थात्ः-
(i) किसी अंतरक सीमित दायित्व भागीदारी के संपूर्ण उपक्रम, संपत्ति या दायित्वों या उसके किसी भाग का अंतरिती सीमित दायित्व भागीदारी में अंतरण;
(ii) किसी अंतरक सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध लंबित किन्हीं विधिक कार्यवाहियों का अंतरिती सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध जारी रखा जाना;
(iii) किसी अंतरक सीमित दायित्व भागीदारी का परिसमापन के बिना विघटन;
(iv) ऐसे किसी व्यक्ति के संबंध में किए जाने वाले उपबंध, जो ऐसे समय के भीतर और ऐसी रीति में, जो अधिकरण निदेश दे, समझौते या ठहराव से विसम्मति रखता है; और
(v) ऐसे आनुषंगिक, पारिणामिक और अनुपूरक विषय, जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हों कि पुनर्निर्माण या समामेलन पूर्णतः और प्रभावी रूप से किया जाएगा:
परंतु किसी सीमित दायित्व भागीदारी के, जिसका परिसमापन किया जा रहा है, किसी अन्य सीमित दायित्व भागीदारी या सीमित दायित्व भागीदारियों से समामेलन की किसी स्कीम के प्रयोजनों के लिए या उसके संबंध में प्रस्तावित किसी समझौते या ठहराव को अधिकरण द्वारा तभी मंजूरी दी जाएगी, जब अधिकरण को रजिस्ट्रार से यह रिपोर्ट प्राप्त हो गई हो कि सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज ऐसी रीति में नहीं किए गए हैं, जिससे उसके भागीदारों के हितों या लोकहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो:
परंतु यह और कि खंड (iii) के अधीन किसी अंतरक सीमित दायित्व भागीदारी के विघटन का कोई आदेश अधिकरण द्वारा तभी किया जाएगा जब शासकीय समापक ने सीमित दायित्व भागीदारी की बहियों और कागजपत्रों की संवीक्षा करने पर अधिकरण को यह रिपोर्ट दे दी हो कि सीमित दायित्व भागीदारी के कामकाज ऐसी रीति में नहीं किए गए हैं, जिससे उसके भागीदारों के हितों या लोकहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो ।
(2) जहां इस धारा के अधीन कोई आदेश किसी संपत्ति या दायित्वों के अंतरण के लिए उपबंध करता है वहां उस आदेश के आधार पर वह संपत्ति अंतरिती सीमित दायित्व भागीदारी को अंतरित होगी और उसमें निहित हो जाएगी और ऐसे दायित्व उसमें अंतरित होंगे और उसके दायित्व बन जाएंगे; तथा किसी संपत्ति की दशा में, यदि आदेश ऐसा निदेश करे, ऐसे किसी प्रभार से मुक्त होगी, जो समझौते या ठहराव के कारण, प्रभाव में नहीं रहा है ।
(3) इस धारा के अधीन कोई आदेश किए जाने के पश्चात् तीस दिन के भीतर, ऐसी प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी, जिसके संबंध में आदेश किया गया है, उसकी प्रमाणित प्रति रजिस्ट्रीकरण के लिए रजिस्ट्रार के पास फाइल कराएगी ।
(4) यदि उपधारा (3) के उपबंधों का अनुपालन करने में व्यतिक्रम किया जाता है तो सीमित दायित्व भागीदारी, सीमित दायित्व भागीदारी का प्रत्येक अभिहित भागीदार, जुर्माने से, जो पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण-इस धारा में, संपत्ति" के अंतर्गत प्रत्येक प्रकार की संपत्ति, अधिकार और शक्तियां भी हैं; और दायित्वों" के अंतर्गत प्रत्येक प्रकार के कर्तव्य भी हैं ।
अध्याय 13
परिसमापन और विघटन
63. परिसमापन और विघटन-सीमित दायित्व भागीदारी का परिसमापन या तो स्वेच्छा से या अधिकरण द्वारा किया जा सकेगा और इस प्रकार परिसमापित सीमित दायित्व भागीदारी विघटित हो सकेगी ।
64. वे परिस्थितियां, जिनमें सीमित दायित्व भागीदारी का अधिकरण द्वारा परिसमापन किया जा सकेगा-सीमित दायित्व भागीदारी का अधिकरण द्वारा परिसमापन किया जा सकेगा-
(क) यदि सीमित दायित्व भागीदारी वह विनिश्चय करती है कि सीमित दायित्व भागीदारी का अधिकरण द्वारा परिसमापन किया जाए;
(ख) यदि छह मास से अधिक की अवधि के लिए, सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों की संख्या दो से कम रहती है;
(ग) यदि सीमित दायित्व भागीदारी अपने ऋणों का संदाय करने में असमर्थ है;
(घ) यदि सीमित दायित्व भागीदारी ने भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा या लोक व्यवस्था के हितों के विरुद्ध कार्य किया है;
(ङ) यदि सीमित दायित्व भागीदारी ने लगातार किन्हीं पांच वित्तीय वर्षों के संबंध में लेखा और शोधनक्षमता का विवरण या वार्षिक विवरणी रजिस्ट्रार के पास फाइल करने में व्यतिक्रम किया है; या
(च) यदि अधिकरण की यह राय है कि यह न्यायोचित और साम्यापूर्ण है कि सीमित दायित्व भागीदारी का परिसमापन कर दिया जाए ।
65. परिसमापन और विघटन के लिए नियम-केन्द्रीय सरकार, सीमित दायित्व भागीदारी के परिसमापन और विघटन से संबंधित उपबंधों के लिए नियम बना सकेगी ।
अध्याय 14
प्रकीर्ण
66. सीमित दायित्व भागीदारी के साथ भागीदार के कारबार संव्यवहार-कोई भागीदार सीमित भागीदारी को धन उधार दे सकेगा और उसके साथ अन्य कारबार कर सकेगा और ऋण या अन्य संव्यवहारों के संबंध में उसके वही अधिकार और बाध्यताएं होंगी जो ऐसे व्यक्ति के हैं, जो भागीदार नहीं है ।
67. कंपनी अधिनियम के उपबंधों का लागू होना-(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, यह निदेश दे सकेगी कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) का कोई उपबंध, -
(क) किसी सीमित दायित्व भागीदार को लागू होगा; या
(ख) किसी सीमित दायित्व भागीदारी को ऐसे अपवाद, उपांतरण और अनुकूलन के साथ लागू होगा, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं ।
(2) उपधारा (1) के अधीन जारी किए जाने के लिए प्रस्तावित प्रत्येक अधिसूचना की प्रति संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखी जाएगी । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस अधिसूचना को जारी किए जाने का अनुमोदन न करने के लिए सहमत हो जाएं तो वह अधिसूचना, यथास्थिति, जारी नहीं की जाएगी या दोनों सदन उस अधिसूचना में कोई उपांतरण करने के लिए सहमत हो जाते हैं तो वह उस उपान्तरित रूप में ही जारी की जाएगी, जिस पर दोनों सदन सहमत हों ।
68. दस्तावेजों का इलेक्ट्रानिक रूप में फाइल किया जाना-(1) इस अधिनियम के अधीन फाइल, अभिलिखित या रजिस्ट्रीकृत किए जाने के लिए अपेक्षित किसी दस्तावेज को ऐसी रीति में और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो विहित की जाएं, फाइल, अभिलिखित या रजिस्ट्रीकृत किया जा सकेगा ।
(2) रजिस्ट्रार के पास इलेक्ट्रानिक रूप में फाइल किए गए या उसको प्रस्तुत किए गए किसी दस्तावेज की कोई प्रति या उससे कोई उद्धरण, जो रजिस्ट्रार द्वारा प्रदाय या जारी किया जाता है और जिसे ऐसे दस्तावेज की सत्यप्रति या उद्धरण के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) के अनुसार अंकीय चिह्नक के माध्यम से प्रमाणित किया गया है, किन्हीं कार्यवाहियों में मूल दस्तावेज के समान विधिमान्यता के रूप में साक्ष्य में ग्राह्य होगा ।
(3) रजिस्ट्रार द्वारा प्रदाय की गई कोई सूचना जो रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रार के पास फाइल किए गए या उसको प्रस्तुत किए गए किसी दस्तावेज के सत्य उद्धरण के रूप में अंकीय चिह्नक के माध्यक से रजिस्ट्रार द्वारा प्रमाणित किया गया है, किन्हीं कार्यवाहियों में साक्ष्य में ग्राह्य होगी और यह उपधारणा की जाएगी कि वह जब तक उसके विरुद्ध कोई साक्ष्य प्रस्तुत न किया जाए, ऐसे दस्तावेज से सत्य उद्धरण है ।
69. अतिरिक्त फीस का संदाय-इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रार के पास फाइल या रजिस्ट्रीकृत किए जाने के लिए अपेक्षित कोई दस्तावेज या विवरणी यदि उसमें उपबंधित समय में फाइल या रजिस्ट्रीकृत नहीं की जाती है तो उस समय के पश्चात् उस तारीख से, जिस तक उसे फाइल किया जाना चाहिए, तीन सौ दिन की अवधि तक, ऐसी किसी फीस के अतिरिक्त, जो ऐसे दस्तावेज या विवरणी को फाइल करने के लिए संदेय हों, ऐसे विलंब के प्रत्येक दिन के लिए एक सौ रुपए की अतिरिक्त फीस के संदाय पर फाइल या रजिस्ट्रीकृत की जा सकेगी :
परंतु ऐसा दस्तावेज या विवरणी, इस अधिनियम के अधीन किसी अन्य कार्रवाई या दायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस धारा में विनिर्दिष्ट फीस और अतिरिक्त फीस के संदाय पर तीन सौ दिन की ऐसी अवधि के पश्चात् भी फाइल की जा सकेगी ।
70. वर्धित दंड-यदि कोई सीमित दायित्व भागीदारी या ऐसी सीमित दायित्व भागदारी का कोई भागीदार या अभिहित भागीदार कोई अपराध करता है तो सीमित दायित्व भागीदारी या कोई भागीदार या अभिहित भागीदार दूसरे या पश्चात्वर्ती अपराध के लिए यथाउपबंधित कारावास से दंडनीय होगा, किंतु ऐसे अपराधों की दशा में, जिसके लिए कारावास के साथ या उसे छोड़कर जुर्माना विहित किया गया है, जुर्माने से, जो ऐसे अपराध के लिए जुर्माने की रकम का दुगुना होगा, दंडनीय होगा ।
71. अन्य विधियों के लागू होने का वर्जित न होना-इस अधिनियम के उपबंध तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे, न कि उनके अल्पीकरण में ।
72. अधिकरण और अपील अधिकरण की अधिकारिता-(1) अधिकरण ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कृत्यों का पालन करेगा जो इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के द्वारा या उसके अधीन उसे प्रदत्त किए जाएं ।
(2) अधिकरण के किसी आदेश या विनिश्चय से व्यथित कोई व्यक्ति अपील अधिकरण को अपील कर सकेगा और कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 10चथ, धारा 10चयक, धारा 10छ, धारा 10छघ, धारा 10छङ और धारा 10छच के उपबंध ऐसी अपील के संबंध में लागू होंगे ।
73. अधिकरण द्वारा पारित किसी आदेश के अननुपालन के संबंध में शास्ति-जो कोई इस अधिनियम के किसी उपबंध के अधीन अधिकरण द्वारा किए गए किसी आदेश का पालन करने में असफल रहता है तो वह कारावास से, जो छह मास तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा और जुर्माने का भी, जो पचास हजार रुपए से कम का नहीं होगा, दायी होगा ।
74. साधारण शास्तियां-कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अधीन किसी ऐसे अपराध का दोषी है जिसके लिए स्पष्ट रूप से कोई दंड उपबंधित नहीं किया गया है, जुर्माने का जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा, किंतु जो पांच हजार रुपए से कम का नहीं होगा, दायी होगा और अतिरिक्त जुर्माने का, जो उस प्रथम दिन के, जिसके पश्चात् व्यतिक्रम जारी रहता है, पश्चात् के प्रत्येक दिन के लिए पचास रुपए तक का हो सकेगा, दायी होगा ।
75. रजिस्टर से निष्क्रिय सीमित दायित्व भागीदारी का नाम काटने की रजिस्ट्रार की शक्ति-जहां रजिस्ट्रार के पास यह विश्वास करने का युक्तियुक्त कारण है कि सीमित दायित्व भागीदारी इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार कारबार नहीं चला रही है या अपना प्रचालन नहीं कर रही है, वहां सीमित दायित्व भागीदारी का नाम ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्टर से काट दिया जाएगा:
परंतु रजिस्ट्रार, इस धारा के अधीन किसी सीमित दायित्व भागीदारी का नाम काटने से पूर्व ऐसी सीमित दायित्व भागीदारी को सुने जाने का युक्तियुक्त अवसर देगा ।
76. सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा अपराध-जहां सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा इस अधिनियम के अधीन किया गया कोई अपराध, -
(क) सीमित दायित्व भागीदारी के किसी भागीदार या भागीदारों या अभिहित भागीदार या अभिहित भागीदारों की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया; या
(ख) उस सीमित भागीदारी के भागीदार या भागीदारों या अभिहित भागीदार या अभिहित भागीदारों की ओर से किसी उपेक्षा के कारण हुआ,
साबित होता है, वहां यथास्थिति, सीमित दायित्व भागीदार का भागीदार या उसके भागीदार या उसका अभिहित भागीदार या उसके अभिहित भागीदार और वह सीमित दायित्व भागीदार उस अपराध के दोषी होंगे और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने तथा दंडित किए जाने के लिए दायी होंगे ।
77. न्यायालय की अधिकारिता-तत्समय प्रवृत्त किसी अधिनियम में किसी प्रतिकूल उपबंध के होते हुए भी, यथास्थिति, प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का विचारण करने की अधिकारिता होगी और उक्त अपराध की बाबत दंड अधिरोपित करने की शक्ति होगी ।
78. अनुसूचियों में परिवर्तन करने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम की किसी अनुसूची में अंतर्विष्ट उपबंधों में से किसी उपबंध को परिवर्तित कर सकेगी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अधिसूचित कोई परिवर्तन इस प्रकार प्रभावी होगा मानो वह अधिनियम में अधिनियमित किया गया हो और वह, जब तक अधिसूचना में अन्यथा निदेश न हो अधिसूचना की तारीख को प्रवृत्त होगा ।
(3) उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा किया गया प्रत्येक परिवर्तन, किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस परिवर्तन में कोई उपांतरण करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे उपांतरित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु परिवर्तन के ऐसे उपांतरण या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
79. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए नियम राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) धारा 7 की उपधारा (3) के अधीन अभिहित भागीदार द्वारा दी जाने वाली पूर्व सहमति का प्ररूप और रीति;
(ख) धारा 7 की उपधारा (4) के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी के अभिहित भागीदार के रूप में कार्य करने के लिए समहत होने वाले प्रत्येक व्यष्टि की विशिष्टियों का प्ररूप और रीति;
(ग) धारा 7 की उपधारा (5) के अधीन अभिहित भागीदार बनने के लिए किसी व्यष्टि की पात्रता से संबंधित शर्तें और अपेक्षाएं;
(घ) धारा 11 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अधीन निगमन दस्तावेज फाइल करने की रीति और उसके लिए संदेय फीस का संदाय;
(ङ) धारा 11 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन फाइल की जाने वाली विवरणी का प्ररूप;
(च) धारा 11 की उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन निगमन दस्तावेज का प्ररूप;
(छ) धारा 11 की उपधारा (2) के खंड (छ) के अधीन प्रस्तावित सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित निगमन दस्तावेज में अन्तर्विष्ट की जाने वाली जानकारी;
(ज) धारा 13 की उपधारा (2) के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी या किसी भागीदार या अभिहित भागीदार पर दस्तावेजों की तामील करने की रीति और वह प्ररूप और रीति, जिसमें सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा कोई अन्य पता घोषित किया जा सकेगा;
(झ) धारा 13 की उपधारा (3) के अधीन रजिस्ट्रार को सूचना देने का प्ररूप और रीति और रजिस्ट्रीकृत कार्यालय के परिवर्तन के संबंध में शर्तें;
(ञ) धारा 16 की उपधारा (1) के अधीन रजिस्ट्रार को आवेदन करने की रीति और संदेय फीस की रकम;
(ट) वह रीति जिसमें धारा 16 की उपधारा (2) के अधीन रजिस्ट्रार द्वारा नाम आरक्षित किए जाएंगे;
(ठ) वह रीति जिसमें धारा 18 की उपधारा (1) के अधीन किसी अस्तित्व द्वारा आवेदन किया जा सकेगा;
(ड) धारा 19 के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी के नाम-परिवर्तन की सूचना का प्ररूप और रीति तथा संदेय फीस की रकम;
(ढ) धारा 23 की उपधारा (2) के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी करार और उसमें किए गए परिवर्तन का प्ररूप और रीति और संदेय फीस की रकम;
(ण) धारा 25 की उपधारा (3) के खंड (क), खंड (ख) और खंड (ग) के अधीन सूचना का प्ररूप, संदेय फीस की रकम और विवरण के अधिप्रमाणन की रीति;
(त) धारा 32 की उपधारा (2) के अधीन किसी भागीदार के अभिदाय के धनीय मूल्य का लेखा रखने और प्रकटन की रीति;
(थ) धारा 34 की उपधारा (1) के अधीन लेखा बहियां और उनके रखे जाने की अवधि;
(द) धारा 34 की उपधारा (2) के अधीन लेखा शोधनक्षमता का विवरण का प्ररूप और रीति;
(ध) धारा 34 की उपधारा (3) के अधीन लेखा और शोधनक्षमता का विवरण फाइल करने का प्ररूप, रीति, फीस और समय;
(न) धारा 34 की उपधारा (4) के अधीन सीमित दायित्व भागीदारी के लेखाओं की संपरीक्षा;
(प) धारा 35 की उपधारा (1) के अधीन वार्षिक विवरणी का प्ररूप और रीति और उसके लिए संदेय फीस;
(फ) धारा 36 के अधीन निगमन दस्तावेज, भागीदारों के नाम और उसमें किए गए परिवर्तनों, लेखा और शोधनक्षमता विवरण और वार्षिक विवरणी के निरीक्षण की रीति और उसके लिए संदेय फीस की रकम;
(ब) धारा 40 के अधीन रजिस्ट्रार द्वारा दस्तावेजों का किसी रूप में नष्ट किया जाना;
(भ) धारा 43 की उपधारा (3) के खंड (क) के अधीन प्रतिभूति के रूप में अपेक्षित रकम;
(म) धारा 44 के अधीन दी जाने वाली प्रतिभूति की रकम;
(य) धारा 49 की उपधारा (2) के खंड (ख) के अधीन, प्रति देने के लिए संदेय फीस;
(यक) धारा 54 के अधीन निरीक्षक की रिपोर्ट के अधिप्रमाणन की रीति;
(यख) धारा 58 की उपधारा (1) के पंरतुक के अधीन संपरिवर्तन के बारे में विशिष्टियों का प्ररूप और रीति;
(यग) धारा 59 के अधीन विदेशी सीमित दायित्व भागीदारियों द्वारा भारत में कारबार के स्थान की स्थापना करने और कारबार करने और विनियामक तंत्र तथा उसकी संरचना के संबंध में;
(यघ) धारा 60 की उपधारा (1) के अधीन अधिवेशन बुलाने, आयोजित और संचालित करने की रीति;
(यङ) धारा 65 के अधीन सीमित दायित्व भागीदारियों के परिसमापन और विघटन के संबंध में,
(यच) धारा 68 की उपधारा (1) के अधीन इलेक्ट्रानिक रूप में दस्तावेज फाइल करने की रीति और शर्तें;
(यछ) धारा 75 के अधीन रजिस्टर से सीमित दायित्व भागीदारियों के नाम काटने की रीति;
(यज) दूसरी अनुसूची के पैरा 4 के उपपैरा (क) के अधीन विशिष्टियों वाले विवरण का प्ररूप और रीति तथा फीस की रकम;
(यझ) दूसरी अनुसूची के पैरा 5 के परंतुक के अधीन संपरिवर्तन के बारे में विशिष्टियों की रीति और प्ररूप;
(यञ) तीसरी अनुसूची के पैरा 3 के उपपैरा (क) के अधीन विवरण का प्ररूप और रीति तथा संदेय फीस की रकम;
(यट) तीसरी अनुसूची के पैरा 4 के परंतुक के अधीन संपरिवर्तन के बारे में विशिष्टियों का प्ररूप और रीतिः
(यठ) चौथी अनुसूची के पैरा 4 के उपपैरा (क) के अधीन विवरण का प्ररूप और रीति तथा संदेय फीस की रकम; और
(यड) चौथी अनुसूची के पैरा 5 के परन्तुक के अधीन संपरिवर्तन के बारे में विशिष्टियों की रीति और प्ररूप ।
(3) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
80. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति-(1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हों, और जो उसे कठिनाई को दूर करने के लिए आवश्यक प्रतीत हों:
परन्तु इस धारा के अधीन कोई आदेश इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से दो वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा ।
(2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, उसके किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा ।
81. संक्रमणकालीन उपबंध-जब तक कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के उपबंधों के अधीन अधिकरण और अपील अधिकरण गठित नहीं किए जाते हैं तब तक इस अधिनियम के उपबंध निम्नलिखित उपांतरणों के अधीन रहते हुए इस प्रकार प्रभावी होंगे, मानो-
(क) धारा 41 की उपधारा (1) के खंड (ख), धारा 43 की उपधारा (1) के खंड (क), और धारा 44 में आने वाले अधिकरण" शब्द के स्थान पर, कंपनी विधि बोर्ड" शब्द रखे गए हों;
(ख) धारा 51 और धारा 60 से धारा 64 में आने वाले अधिकरण" शब्द के स्थान पर, उच्च न्यायालय" शब्द रखे गए हों;
(ग) धारा 72 की उपधारा (2) में आने वाले अपील अधिकरण" शब्दों के स्थान पर, उच्च न्यायालय" शब्द रखे गए हों ।
पहली अनुसूची
[धारा 23 (4) देखिए]
भागीदारों और सीमित दायित्व भागीदारी तथा उसके भागीदारों के पारस्परिक अधिकारों और कर्तव्यों से संबंधित विषयों के संबंध में, ऐसे विषयों पर किसी करार के न होने की दशा में लागू होने वाले उपबंध
1. भागीदारों के पारस्परिक अधिकार और कर्तव्य और सीमित दायित्व भागीदारी तथा उसके भागीदारों के पारस्परिक अधिकार और कर्तव्य किसी सीमित दायित्व भागीदारी के निबन्धनों के अधीन रहते हुए या किसी विषय पर ऐसे किसी करार के अभाव में, इस अनुसूची के उपबन्धों द्वारा अवधारित किए जाएंगे ।
2. सीमित दायित्व भागीदारी के सभी भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी की पूंजी, लाभों और हानियों में समान रूप से हिस्सा बंटाने के लिए हकदार हैं ।
3. सीमित दायित्व भागीदारी प्रत्येक भागीदार को उसके द्वारा-
(क) सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार के सामान्य और समुचित संचालन में; या
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार या संपत्ति के परिरक्षण के लिए आवश्यक रूप से की गई किसी बात में या उसके बारे में, किए गए संदायों और उपगत वैयक्तिक दायित्वों के संबंध में क्षतिपूर्ति करेगी ।
4. प्रत्येक भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार के संचालन में उसके कपट से उसको हुई किसी हानि के लिए सीमित दायित्व भागीदारी को क्षतिपूरित करेगा ।
5. प्रत्येक भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी के प्रबंध में भाग ले सकेगा ।
6. कोई भी भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार या प्रबन्ध में कार्य करने के लिए पारिश्रमिक का हकदार नहीं होगा ।
7. विद्यमान भागीदारों की सहमति के बिना किसी व्यक्ति को भागीदार के रूप में सम्मिलित नहीं किया जाएगा ।
8. सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित कोई विषय या मुद्दा भागीदारों की संख्या में बहुमत द्वारा पारित संकल्प द्वारा विनिश्चित किया जाएगा और इस प्रयोजन के लिए प्रत्येक भागीदार का एक मत होगा । तथापि सभी भागीदारों की सहमति के बिना सीमित दायित्व भागीदारी के कारबार की प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा ।
9. प्रत्येक सीमित दायित्व भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि उसके द्वारा किए गए विनिश्चय, ऐसे विनिश्चय किए जाने के बीस दिन के भीतर कार्यवृत्त में लेखबद्ध किए जाएं और सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्ट्रीकृत कार्यालय में रखे और अनुरक्षित किए जाएं ।
10. प्रत्येक भागीदार सीमित दायित्व भागीदारी को प्रभावित करने वाली बातों के बारे में वास्तविक लेखा और पूरी जानकारी किसी भागीदार या उसके विधिक प्रतिनिधियों को देगा ।
11. यदि कोई भागीदार, सीमित दायित्व भागीदारी की सहमति के बिना, उसी प्रकृति का कोई कारबार करता है जो सीमित दायित्व भागीदारी का है और उससे प्रतियोगिता करता है तो वह उस कारबार में उसे हुए सभी लाभों का, सीमित दायित्व भागीदारी को हिसाब देगा और उनका उसे संदाय करने के लिए दायी होगा ।
12. प्रत्येक भागीदार, सीमित दायित्व भागीदारी की सहमति के बिना, सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित किसी संव्यवहार से या सीमित दायित्व भागीदारी की सम्पत्ति, नाम या किसी कारबारी संपर्क से उसके द्वारा व्युत्पन्न किसी फायदे का सीमित दायित्व भागीदारी को हिसाब देगा ।
13. भागीदारों का कोई बहुमत किसी भागीदार को तभी निष्काषित कर सकता है जब भागीदारों के बीच स्पष्ट करार द्वारा ऐसा करने के लिए कोई शक्ति प्रदान की गई हो ।
14. भागीदारों के बीच सीमित दायित्व भागीदारी करार से उद्भूत ऐसे सभी विवाद, जिनका निपटान ऐसे करार के निबंधनानुसार नहीं किया जा सकता है, माध्यस्थम् और सुलह अधिनियम, 1996 (1996 का 26) के उपबंधों के अनुसार माध्यस्थम् के लिए निर्दिष्ट किए जाएंगे ।
दूसरी अनुसूची
(धारा 55 देखिए)
फर्म से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन
1. निर्वचन-इस अनुसूची में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
(क) फर्म" से भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) की धारा 4 में यथापरिभाषित फर्म अभिप्रेत है;
(ख) किसी सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित होने वाली फर्म के संबंध में, संपरिवर्तन" से फर्म की संपत्ति, आस्तियों, हितों, अधिकारों, विशेषाधिकारों, दायित्वों, बाध्यताओं और उपक्रम का इस अनुसूची के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में अंतरण अभिप्रेत है ।
2. फर्म से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन-(1) कोई फर्म इस अनुसूची में उपवर्णित संपरिवर्तन की अपेक्षाओं का अनुपालन करके सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो सकेगी ।
(2) ऐसे संपरिवर्तन पर, फर्म के भागीदार इस अनुसूची के उन उपबंधों द्वारा आबद्ध होंगे, जो उनको लागू होते हैं ।
3. संपरिवर्तन के लिए पात्रता-कोई फर्म सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए इस अनुसूची के अनुसार आवेदन कर सकेगी यदि और केवल तभी जब सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों में, जिसमें फर्म का संपरिवर्तन किया जाना है, उस फर्म के सभी भागीदार सम्मिलित हैं, न कि कोई और ।
4. फाइल किए जाने वाला विवरण-कोई फर्म किसी सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को निम्नलिखित फाइल करते हुए आवेदन कर सकेगी-
(क) उसके सभी भागीदारों द्वारा ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से तथा ऐसी फीस के साथ जो केन्द्रीय सरकार विनिर्दिष्ट करे, निम्नलिखित विशिष्टियां, अंतर्विष्ट करते हुए, विवरण, अर्थात्ः-
(i) फर्म का नाम और रजिस्ट्रीकरण संख्या यदि लागू हो; और
(ii) वह तारीख जिसको फर्म भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) या किसी अन्य विधि, यदि लागू हो, के अधीन रजिस्ट्रीकृत की गई थी; और
(ख) धारा 11 में निर्दिष्ट निगमन दस्तावेज और विवरण ।
5. संपरिवर्तन का रजिस्ट्रीकरण-पैरा 4 में निर्दिष्ट दस्तावेजों को प्राप्त होने पर, रजिस्ट्रार, इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, दस्तावेजों को रजिस्टर करेगा और ऐसे प्ररूप में जो रजिस्ट्रार अवधारित करे, यह कथन करते हुए रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र जारी करेगा कि सीमित दायित्व भागीदारी प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट तारीख से ही इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत है:
परंतु सीमित दायित्व भागीदारी, रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर, संबंधित उस फर्म रजिस्ट्रार को, जिसके पास वह भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) के उपबंधों के अधीन रजिस्ट्रीकृत थी, संपरिवर्तन के बारे में और सीमित दायित्व भागीदारी की विशिष्टियों की ऐसे प्ररूप और रीति में सूचना देगी, जो केन्द्रीय सरकार विहित करे ।
6. रजिस्ट्रार रजिस्टर करने से इंकार कर सकेगा-(1) इस अनुसूची की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि यदि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रस्तुत की गई विशिष्टियों या अन्य जानकारी से उसका समाधान नहीं होता है तो वह रजिस्ट्रार से, किसी सीमित दायित्व भागीदारी को रजिस्टर करने की अपेक्षा करती है:
परंतु रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रीकरण से इंकार की दशा में अधिकरण के समक्ष अपील की जा सकेगी ।
(2) रजिस्ट्रार, किसी विशिष्ट मामले में, पैरा 4 में विनिर्दिष्ट दस्तावेजों को ऐसी रीति में सत्यापित कराने की अपेक्षा कर सकेगा, जो वह ठीक समझे ।
7. रजिस्ट्रीकरण का प्रभाव-पैरा 5 के अधीन जारी रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ही, -
(क) रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट नाम से इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत सीमित दायित्व भागीदारी होगी;
(ख) फर्म में निहित सभी मूर्त संपत्ति (जंगम और स्थावर) और अमूर्त संपत्ति और फर्म से संबंधित सभी आस्तियां, हित, अधिकार, विशेषाधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और फर्म का संपूर्ण उपक्रम किसी और आश्वासन, कृत्य या विलेख के बिना सीमित दायित्व भागीदारी को अंतिरित हो जाएंगे और उसमें निहित हो जाएंगे; और
(ग) फर्म विघटित समझी जाएगी और यदि वह भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 (1932 का 9) अधीन पहले से रजिस्ट्रीकृत है तो उस अधिनियम के अधीन रखे गए अभिलेखों से हटा दी जाएगी ।
8. संपत्ति के संबंध में रजिस्ट्रीकरण-यदि कोई संपत्ति, जिसको पैरा 7 का उपपैरा (ख) लागू होता है, किसी प्राधिकारी के पास रजिस्ट्रीकृत है, तो सीमित दायित्व भागीदारी, रजिस्ट्रीकरण की तारीख के पश्चात् यथासाध्य शीघ्र, संपरिवर्तन के प्राधिकार और सीमित दायित्व भागीदारी की विशिष्टियों को ऐसे माध्यम और ऐसे प्ररूप में, अधिसूचित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी जो सुसंगत प्राधिकारी अपेक्षा करे ।
9. लंबित कार्यवाहियां-फर्म द्वारा या उसके विरुद्ध सभी कार्यवाहियां, जो किसी न्यायालय या अधिकरण में या किसी प्राधिकारी के समक्ष रजिस्ट्रीकरण की तारीख को लंबित हैं, सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध जारी रखी जा सकेंगी, पूरी की जा सकेंगी और प्रवृत्त की जा सकेंगी ।
10. दोषसिद्धि, विनिर्णय, आदेश या निर्णय का जारी रहना-किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकारी की फर्म के पक्ष में या उसके विरुद्ध कोई दोषसिद्धि, विनिर्णय, आदेश या निर्णय सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध प्रवृत्त किया जा सकेगा ।
11. विद्यमान करार-ऐसा प्रत्येक करार, जिसका फर्म रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व एक पक्षकार थी, चाहे वह ऐसी प्रकृति का था यह कि उसके अधीन अधिकार या दायित्व समनुदेशित किए जा सकें उस दिन से वैसे ही प्रभावी रहेगा, मानो-
(क) फर्म के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी ऐसे करार की पक्षकार हो; और
(ख) रजिस्ट्रीकरण की तारीख को या उसके पश्चात् की गई किसी बात की बाबत फर्म के प्रति निर्देश के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी के प्रति निर्देश रखा गया हो ।
12. विद्यमान संविदाएं आदि-रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व विद्यमान ऐसे सभी विलेख, संविदाएं, स्कीम, बंधपत्र, करार, आवेदन, लिखत और ठहराव जो फर्म से संबंधित हैं या जिनमें फर्म एक पक्षकार है, उस तारीख को और उसके पश्चात् वैसे ही प्रभावी बने रहेंगे मानो वे सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित हों और सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध उसी प्रकार प्रवर्तनीय होंगे मानो सीमित दायित्व भागीदारी उसमें नामित की गई हो या फर्म के स्थान पर वह उसकी पक्षकार हो ।
13. नियोजन का जारी रहना-नियोजन की प्रत्येक संविदा जिसे पैरा 11 या पैरा 12 लागू होते हैं, रजिस्ट्रीकरण की तारीख को या उसके पश्चात् वैसे ही प्रभावी बनी रहेगी मानो फर्म के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी उसके अधीन नियोजक हो ।
14. विद्यमान नियुक्ति, प्राधिकार या शक्ति-(1) किसी भी भूमिका या हैसियत में फर्म की प्रत्येक नियुक्ति जो रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवृत्त है उस तारीख से वैसे ही प्रभावी और प्रवर्तित होगी मानो सीमित दायित्व भागीदारी नियुक्त की गई हो ।
(2) फर्म को प्रदत्त कोई प्राधिकार या शक्ति जो रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवर्तन में है, उस तारीख से वैसे ही प्रभावी और प्रवर्तित होगी मानो वह सीमित दायित्व भागीदारी को प्रदत्त की गई हो ।
15. पैरा 7 से पैरा 14 का लागू होना-पैरा 7 से पैरा 14 (जिसमें दोनों सम्मिलित हैं) के उपबंध ऐसे किसी अन्य अधिनियम के अधीन, जो सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवर्तन में है, फर्म को जारी किए गए किसी अनुमोदन, अनुज्ञापत्र या अनुज्ञप्ति को, ऐसे अन्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए लागू होंगे, जिसके अधीन ऐसा अनुमोदन, अनुज्ञापत्र या अनुज्ञप्ति जारी की गई है ।
16. भागीदार का संपरिवर्तन से पूर्व फर्म के दायित्वों और बाध्यताओं के लिए दायी होना-(1) पैरा 7 से पैरा 14 (जिसमें दोनों सम्मिलित हैं) में किसी बात के होते हुए भी, किसी ऐसी फर्म का, जो सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो गई है, प्रत्येक भागीदार फर्म के ऐसे दायित्वों और बाध्यताओं के लिए व्यक्तिगत रूप से (सीमित दायित्व भागीदारी के साथ संयुक्त रूप से और पृथक् रूप से) दायी बनी रहेगी, जो संपरिवर्तन के पूर्व उपगत हुई हों या जो संपरिवर्तन के पूर्व किसी संविदा से उद्भूत हुई हों ।
(2) यदि ऐसा कोई भागीदार पैरा (1) में निर्दिष्ट किसी दायित्व या बाध्यता का निर्वहन करता है तो वह ऐसे दायित्व या बाध्यता के संबंध में (सीमित दायित्व भागीदारी के साथ किसी करार के अधीन रहते हुए) सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति किए जाने का हकदार होगा ।
17. पत्राचार में संपरिवर्तन की सूचना-(1) सीमित दायित्व भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि रजिस्ट्रीकरण की तारीख के पश्चात् चौदह दिन के अपश्चात् प्रारंभ होने वाली बारह मास की अवधि के लिए सीमित दायित्व भागीदारी के प्रत्येक शासकीय पत्राचार में निम्नलिखित समाविष्ट होंगे: -
(क) यह विवरण कि फर्म रजिस्ट्रीकरण की तारीख से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो गई थी;
(ख) उस फर्म का नाम और रजिस्ट्रीकरण संख्यांक (यदि लागू हो) जिससे वह संपरिवर्तित हुई थी ।
(2) कोई सीमित दायित्व भागीदारी, जो उपपैरा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करती है, जुर्माने से जो दस हजार से कम का नहीं होगा किंतु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा और अतिरिक्त जुर्माने से जो पहले दिन के पश्चात् जिसको व्यक्तिक्रम जारी रहता है प्रत्येक दिन के लिए पचास रुपए से कम का नहीं होगी किंतु जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी ।
तीसरी अनुसूची
(धारा 56 देखिए)
प्राइवेट कंपनी से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन
1. निर्वचन-इस अनुसूची में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -
(क) कंपनी" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 की उपधारा (1) के खंड (iii) में यथापरिभाषित प्राइवेट कंपनी अभिप्रेत है;
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित होने वाली प्राइवेट कंपनी के संबंध में संपरिवर्तन" से कंपनी की संपत्ति, आस्तियों, हितों, अधिकारों, विशेषाधिकारों, बाध्यताओं और उपक्रम का इस अनुसूची के उपबंधों के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में अंतरण अभिप्रेत है ।
2. प्राइवेट कंपनियों की सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए पात्रता-(1) कोई कंपनी इस अनुसूची में उपवर्णित संपरिवर्तन की अपेक्षाओं का अनुपालन करके सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो सकेगी ।
(2) कोई कंपनी इस अनुसूची के अनुसार किसी सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए केवल तभी आवेदन कर सकेगी यदि-
(क) आवेदन के समय आस्तियों में कोई प्रतिभूति हित विद्यमान या प्रवृत्त नहीं है, और
(ख) उस सीमित दायित्व भागीदारी के, जिसमें वह संपरिवर्तित होती है भागीदारों में कंपनी के सभी शेयरधारक सम्मिलित हैं, न कि कोई और ।
(3) ऐसे संपरिवर्तन पर, कंपनी, उसके शेयरधारक, सीमित दायित्व भागीदारी, जिसमें कंपनी संपरिवर्तित हो गई है और उस सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार इस अनुसूची के उन उपबन्धों से आबद्ध होंगे, जो उन्हें लागू होते हैं ।
3. फाइल किए जाने वाला विवरण-कंपनी किसी सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को निम्नलिखित फाइल करते हुए आवेदन कर सकेगी-
(क) उसके सभी शेयरधारकों द्वारा ऐसे प्ररूप और ऐसी रीति में तथा ऐसी फीस के साथ जो केन्द्रीय सरकार विनिर्दिष्ट करे, निम्नलिखित विशिष्टियां अंतर्विष्ट करते हुए, विवरण, अर्थात्: -
(i) कंपनी का नाम और रजिस्ट्रीकरण संख्या;
(ii) वह तारीख जिसको कंपनी निगमित की गई थी; और
(ख) धारा 11 में निर्दिष्ट निगमन दस्तावेज और विवरण ।
4. संपरिवर्तन का रजिस्ट्रीकरण-पैरा 3 में निर्दिष्ट दस्तावेजों के प्राप्त होने पर रजिस्ट्रार इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अधीन रहते हुए दस्तावेजों को रजिस्टर करेगा और ऐसे प्ररूप में जो रजिस्ट्रार अवधारित करे, यह कथन रहते हुए रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र जारी करेगा कि सीमित दायित्व भागीदारी प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट तारीख से ही इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत है:
परंतु सीमित दायित्व भागीदारी, रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर संबंधित कम्पनी रजिस्ट्रार को, जिसके पास वह कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के उपबंधों के अधीन रजिस्ट्रीकृत थी, संपरिवर्तन के बारे में और सीमित दायित्व भागीदारी के विशिष्टियों की ऐसे प्ररूप और रीति में सूचना देगी, जो केन्द्रीय सरकार विहित करे ।
5. रजिस्ट्रार रजिस्टर करने से इंकार कर सकेगा-(1) इस अनुसूची की किसी बात यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा यदि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रस्तुत की गई विशिष्टियों या अन्य जानकारी से उसका समाधान नहीं होता है तो वह रजिस्ट्रार से, सीमित दायित्व भागीदारी को रजिस्टर करने की अपेक्षा करती हैः
परंतु रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रीकरण से इंकार की दशा में अधिकरण के समक्ष अपील की जा सकेगी ।
(2) रजिस्ट्रार, किसी विशिष्ट मामले में, पैरा 3 में निर्दिष्ट दस्तावेजों को ऐसी रीति में सत्यापित कराए जाने की अपेक्षा कर सकेगा, जो वह ठीक समझे ।
6. रजिस्ट्रीकरण का प्रभाव-पैरा 4 के अधीन जारी रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ही, -
(क) रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट नाम से इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत एक सीमित दायित्व भागीदारी होगी;
(ख) कंपनी में निहित सभी मूर्त संपत्ति (जंगम और स्थावर) और अमूर्त संपत्ति, कंपनी से संबंधित सभी आस्तियां, हित, अधिकार, विशेषाधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और कंपनी का संपूर्ण उपक्रम किसी और आश्वासन, कृत्य या विलेख के बिना सीमित दायित्व भागीदारी को अंतरित हो जाएंगे और उसमें निहित हो जाएंगे; और
(ग) कंपनी विघटित समझी जाएगी और उसे कम्पनी रजिस्ट्रार के अभिलेखों से हटा दिया जाएगा ।
7. संपत्ति के संबंध में रजिस्ट्रीकरण-यदि कोई संपत्ति जिसको पैरा 6 का उपपैरा (ख) लागू होता है, किसी प्राधिकारी के पास रजिस्ट्रीकृत है, तो सीमित दायित्व भागीदारी, यथासाध्य शीघ्र, रजिस्ट्रीकरण की तारीख के पश्चात् संपरिवर्तन के प्राधिकार और सीमित दायित्व भागीदारी की विशिष्टियों को ऐसे प्ररूप और रीति में, जो प्राधिकारी अवधारित करे, अधिसूचित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी जो सुसंगत प्राधिकारी अपेक्षा करे ।
8. लंबित कार्यवाहियां-कंपनी द्वारा या कंपनी के विरुद्ध सभी कार्यवाहियां जो किसी न्यायालय या अधिकरण में या किसी अन्य प्राधिकारी के समक्ष रजिस्ट्रीकरण की तारीख को लंबित हैं, सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध जारी रखी जा सकेंगी, पूरी की जा सकेंगी और प्रवृत्त की जा सकेंगी ।
9. दोषसिद्धि, विनिर्णय, आदेश या निर्णय का जारी रहना-किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकारी की कंपनी के पक्ष में या उसके विरुद्ध कोई दोषसिद्धि, विनिर्णय, आदेश या निर्णय सीमित दायित्व सीमित भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध प्रवृत्त किया जा सकेगा ।
10. विद्यमान करार-ऐसा प्रत्येक करार जिसका कंपनी रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व कंपनी एक पक्षकार थी, चाहे वह ऐसी प्रकृति का था या नहीं कि उसके अधीन अधिकार या दायित्व समनुदेशित किए जा सकें, उस दिन से वैसे ही प्रभावी रहेगा, मानोः-
(क) कंपनी के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी उस करार की पक्षकार हो; और
(ख) रजिस्ट्रीकरण की तारीख को या उसके पश्चात् की गई किसी बात की बाबत कंपनी के प्रति निर्देश के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी के प्रति निर्देश रखा गया हो ।
11. विद्यमान संविदाएं, आदि-रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व विद्यमान ऐसे सभी विलेख, संविदाएं, स्कीमें, बंधपत्र, करार, आवेदन, लिखत और ठहराव जो कम्पनी से संबंधित हैं या जिनमें कम्पनी एक पक्षकार है उस तारीख को और उसके पश्चात् वैसे ही प्रभावी बने रहेंगे मानो वे सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित हों और सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध प्रवर्तनीय होंगे मानो सीमित दायित्व भागीदारी उसमें नामित की गई हो या वह कंपनी के स्थान पर उसकी पक्षकार हो ।
12. नियोजन का जारी रहना-नियोजन की प्रत्येक संविदा जिसे पैरा 10 या पैरा 11 लागू होते हैं, रजिस्ट्रीकरण की तारीख को या उसके पश्चात् वैसे ही प्रभावी बनी रहेगी मानो सीमित दायित्व भागीदारी कंपनी के स्थान पर उसके अधीन नियोजक थी ।
13. विद्यमान नियुक्ति, प्राधिकार या शक्ति-(1) किसी भूमिका या हैसियत में कंपनी की प्रत्येक नियुक्ति जो रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवृत्त है उस तारीख से वैसे ही प्रभावी और प्रवर्तित होगी मानो सीमित दायित्व भागीदारी नियुक्त की गई हो ।
(2) कंपनी को प्रदत्त कोई प्राधिकार या शक्ति जो रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवर्तन में है, उस तारीख से वैसे ही प्रभावी और प्रवर्तित होगी मानो वह सीमित दायित्व भागीदारी को प्रदत्त को गई हो ।
14. पैरा 6 से पैरा 13 का लागू होना-पैरा 6 से पैरा 13 (जिसमें दोनों सम्मिलित हैं) के उपबंध ऐसे किसी अन्य अधिनियम के अधीन, जो सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवर्तन में है, कम्पनी को जारी किए गए किसी अनुमोदन, अनुज्ञापत्र या अनुज्ञप्ति को, ऐसे अन्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए लागू होंगे, जिसके अधीन ऐसा अनुमोदन, अनुज्ञापत्र या अनुज्ञप्ति जारी की गई है ।
15. पत्राचार में संपरिवर्तन की सूचना-(1) सीमित दायित्व भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि रजिस्ट्रीकरण को तारीख के पश्चात् चौदह दिन के अपश्चात् प्रारंभ होने वाली बारह मास की अवधि के लिए सीमित दायित्व भागीदारी के प्रत्येक शासकीय पत्राचार में निम्नलिखित समाविष्ट होंगे, अर्थात्ः -
(क) यह विवरण कि कंपनी रजिस्ट्रीकरण की तारीख से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो गई थी;
(ख) कंपनी का नाम और रजिस्ट्रीकरण जिससे वह संपरिवर्तित हुई थी ।
(2) कोई सीमित दायित्व भागीदारी जो उपपैरा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करती है, जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगी किंतु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा और अतिरिक्त जुर्माने से, जो पहले दिन के पश्चात् प्रत्येक दिन के लिए जिसको व्यतिक्रम जारी रहता है, पचास रुपए से कम का नहीं होगा किंतु जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगी ।
चौथी अनुसूची
(धारा 57 देखिए)
असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी से सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन
1. निर्वचन-इस अनुसूची में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
(क) कंपनी" से असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी अभिप्रेत है;
(ख) सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित होने वाली कंपनी के संबंध में संपरिवर्तन" से कंपनी की संपत्ति, आस्तियों, हितों, अधिकारों, विशेषाधिकारों, बाध्यताओं और उपक्रम का इस अनुसूची के उपबंधों के अनुसार सीमित दायित्व भागीदारी में अंतरण अभिप्रेत है;
(ग) सूचीबद्ध कंपनी" से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 (1922 का 15) की धारा 11 के अधीन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा जारी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (प्रकटन और विनिधानकर्ता संरक्षण) मार्गनिर्देश, 2000 में यथा परिभाषित सूचीबद्ध कंपनी अभिप्रेत है;
(घ) असूचीबद्ध पब्लिक कंपनी" से ऐसी कंपनी अभिप्रेत है जो सूचीबद्ध कंपनी नहीं है ।
2. कंपनी का सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन-(1) कोई कंपनी इस अनुसूची में उपवर्णित संपरिवर्तन की अपेक्षाओं का अनुपालन करके सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तित हो सकेगी ।
(2) ऐसे संपरिवर्तन पर कंपनी, उसके शेयरधारक, सीमित दायित्व भागीदारी, जिसमें कंपनी संपरिवर्तित हो गई है और उस सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदार इस अनुसूची के उन उपबंधों से आबद्ध होंगे, जो उन्हें लागू होते हैं ।
3. संपरिवर्तन के लिए पात्रता-कोई कंपनी इस अनुसूची के उपबंधों के अनुसार किसी सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए आवेदन कर सकेगी यदि-
(क) आवेदन के समय आस्तियों में कोई प्रतिभूति हित विद्यमान या प्रवृत्त नहीं है; और
(ख) उस सीमित दायित्व भागीदारी के, जिसमें यह संपरिवर्तित होती है, भागीदारों में कंपनी के सभी शेयरधारक सम्मिलित हैं न कि कोई और ।
4. विवरण का फाइल किया जाना-कोई कंपनी किसी सीमित दायित्व भागीदारी में संपरिवर्तन के लिए रजिस्ट्रार को निम्नलिखित फाइल करते हुए आवेदन कर सकेगी-
(क) उसके सभी शेयरधारकों द्वारा ऐसे प्ररूप और रीति में तथा ऐसी फीस के साथ जो केन्द्रीय सरकार विनिर्दिष्ट करे, निम्नलिखित विशिष्टियां अंतर्विष्ट करते हुए, विवरण, अर्थात्: -
(i) कंपनी का नाम और रजिस्ट्रीकरण संख्या; और
(ii) वह तारीख जिसको कंपनी निगमित की गई थी; और
(ख) धारा 11 में निर्दिष्ट निगमन दस्तावेज और विवरण ।
5. संपरिवर्तन का रजिस्ट्रीकरण-पैरा 4 में निर्दिष्ट दस्तावेजों के प्राप्त होने पर, रजिस्ट्रार इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अधीन रहते हुए, दस्तावेजों को रजिस्टर करेगा और ऐसे प्ररूप में जो रजिस्ट्रार अवधारित करे रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र यह कथन करते हुए जारी करेगा कि सीमित दायित्व भागीदारी प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट तारीख से ही इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत है:
परंतु सीमित दायित्व भागीदारी, रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर संबंधित कंपनी रजिस्ट्रार को, जिसके पास वह कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के उपबंधों के अधीन रजिस्ट्रीकृत थी, संपरिवर्तन के बारे में और सीमित दायित्व भागीदारी की विशिष्टियों की ऐसे प्ररूप और रीति में सूचना देगी, जो केन्द्रीय सरकार विहित करे ।
6. रजिस्ट्रार रजिस्टर करने से इंकार कर सकेगा-(1) इस अनुसूची की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि यदि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्रस्तुत की गई विशिष्टियों या अन्य जानकारी से उसका समाधान नहीं होता है तो वह रजिस्ट्रार से सीमित दायित्व भागीदारी को रजिस्टर करने की अपेक्षा करती है:
परंतु रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रीकरण से इंकार की दशा में अधिकरण के समक्ष अपील की जा सकेगी ।
(2) रजिस्ट्रार किसी विशिष्ट मामले में पैरा 4 में निर्दिष्ट दस्तावेजों को ऐसी रीति में सत्यापित कराए जाने की अपेक्षा कर सकेगा, जो वह ठीक समझे ।
7. रजिस्ट्रीकरण का प्रभाव-पैरा 5 अधीन जारी रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ही, -
(क) रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में विनिर्दिष्ट नाम से इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत एक सीमित दायित्व भागीदारी होगी;
(ख) कंपनी में निहित सभी मूर्त संपत्ति (जंगम और स्थावर) और अमूर्त संपत्ति, कंपनी से संबंधित सभी आस्तियां, हित, अधिकार, विशेषाधिकर, दायित्व, बाध्यताएं और कंपनी का संपूर्ण उपक्रम किसी और आश्वासन, कृत्य या विलेख के बिना सीमित दायित्व भागीदारी में अंतरित हो जाएंगे और उनमें निहित हो जाएंगे; और
(ग) कंपनी विघटित समझी जाएगी और उसे कम्पनी रजिस्ट्रार के अभिलेखों से हटा दिया जाएगा ।
8. संपत्ति के संबंध में रजिस्ट्रीकरण-यदि कोई संपत्ति जिसको पैरा 7 का खंड (ख) लागू होता है, किसी प्राधिकारी के पास रजिस्ट्रीकृत है, तो सीमित दायित्व भागीदारी यथाशीघ्र रजिस्ट्रीकरण की तारीख के पश्चात् यथा अपेक्षित संपरिवर्तन के प्राधिकार और सीमित दायित्व भागीदारी की विशिष्टियों को, ऐसे प्ररूप और रीति में जो प्राधिकारी अवधारित करे, अधिसूचित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी जो सुसंगत प्राधिकारी अपेक्षा करे ।
9. लंबित कार्यवाहियां-कंपनी द्वारा या कंपनी के विरुद्ध सभी कार्यवाहियां जो किसी न्यायालय या अधिकरण में या किसी प्राधिकारी के समक्ष रजिस्ट्रीकरण की तारीख को लंबित हैं, सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध जारी रखी जा सकेंगी, पूरी की जा सकेंगी और प्रवृत्त की जा सकेंगी ।
10. दोषसिद्धि, विनिर्णय, आदेश या निर्णय का जारी रहना-किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकारी का कंपनी के पक्ष में या उसके विरुद्ध कोई दोषसिद्धि, विनिर्णय, आदेश या निर्णय सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध प्रवृत्त किया जा सकेगा ।
11. विद्यमान करार-ऐसा प्रत्येक करार, जिसकी कंपनी रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व एक पक्षकार थी, चाहे ऐसी प्रकृति का था या नहीं कि तद्धीन अधिकार या दायित्व समनुदेशित किए जा सकें, उस दिन से वैसे ही प्रभावी रहेगा, मानो-
(क) कंपनी के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी ऐसे करार की पक्षकार थी; और
(ख) रजिस्ट्रीकरण की तारीख को या उसके पश्चात् की गई किसी बात की बाबत कंपनी के प्रति निर्देश के स्थान पर सीमित दायित्व भागीदारी के प्रतिनिर्देश रखा गया हो ।
12. विद्यमान संविदाएं आदि-रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व विद्यमान ऐसे सभी विलेख, संविदाएं, स्कीम, बंधपत्र, करार, आवेदन, लिखत और ठहराव जो कंपनी से सम्बधित हैं या जिनमें कंपनी एक पक्षकार है उस तारीख को और उसके पश्चात् वैसे ही जारी रहेंगे मानो वे सीमित दायित्व भागीदारी से संबंधित हों, और सीमित दायित्व भागीदारी द्वारा या उसके विरुद्ध प्रवर्तनीय होंगे मानो सीमित दायित्व भागीदारी उसमें नामित की गई हो या वह कंपनी के स्थान पर उसकी पक्षकार हो ।
13. नियोजन का जारी रहना-नियोजन की प्रत्येक संविदा जिसे पैरा 11 या पैरा 12 लागू होते हैं, रजिस्ट्रीकरण की तारीख को या उसके पश्चात् वैसे ही प्रभावी बनी रहेगी मानो सीमित दायित्व भागीदारी कंपनी के स्थान पर उसके अधीन नियोजक थी ।
14. विद्यमान नियुक्ति, प्राधिकार या शक्ति-(1) किसी भूमिका या हैसियत में कंपनी की प्रत्येक नियुक्ति जो रजिस्ट्रीकरण की तारीख से पूर्व प्रवृत्त है, उस तारीख से वैसे ही प्रभावी और प्रवर्तित होगी मानो सीमित दायित्व भागीदारी नियुक्त की गई हो ।
(2) कंपनी को प्रदत्त कोई प्राधिकार या शक्ति जो रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवर्तन में है उस तारीख से वैसे ही प्रभावी और प्रवर्तित होगी मानो वह सीमित दायित्व भागीदारी को प्रदत्त की गई हो ।
15. पैरा 7 से पैरा 14 का लागू होना- पैरा 7 से पैरा 14 (जिसमें दोनों सम्मिलित हैं) के उपबंध ऐसे किसी अन्य अधिनियम के अधीन, जो सीमित दायित्व भागीदारी के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से ठीक पूर्व प्रवर्तन में है, कंपनी को जारी किए गए किसी अनुमोदन, अनुज्ञापत्र या अनुज्ञप्ति को, ऐसे अन्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए लागू होंगे, जिसके अधीन ऐसा अनुमोदन, अनुज्ञापत्र या अनुज्ञप्ति जारी की गई है ।
16. पत्राचार में संपरिवर्तन की सूचना-(1) सीमित दायित्व भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि रजिस्ट्रीकरण की तारीख के पश्चात् चौदह दिन के अपश्चात् प्रारंभ होने वाली बारह मास की अवधि के लिए सीमित दायित्व भागीदारी के प्रत्येक शासकीय पत्राचार में निम्नलिखित समाविष्ट होंगे, अर्थात्: -
(क) यह विवरण कि कंपनी रजिस्ट्रीकरण की तारीख से सीमित दायित्व भागीदारी में परिवर्तित हो गई थी;
(ख) कंपनी का नाम और रजिस्ट्रीकरण जिससे यह संपरिवर्तित हुई थी ।
(2) कोई सीमित दायित्व भागीदारी जो उपपैरा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करती है, जुर्माने से जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा किंतु जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, और अतिरिक्त जुर्माने से जो पहले दिन के पश्चात् प्रत्येक दिन के लिए जिसको व्यतिक्रम जारी रहता है पचास रुपए से कम होगा किंतु जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
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