पासपोर्ट अधिनियम, 1967 ( Passports Act, 1967 )
पासपोर्ट अधिनियम, 1967
(1967 का अधिनियम संख्यांक 15)
[24 जून, 1967]
भारत के नागरिकों तथा अन्य व्यक्तियों के भारत से प्रस्थान
करने का विनियमन करने के लिए पासपोर्ट और
यात्रा-दस्तावेज जारी करने का और उनसे
आनुषंगिक या सम्बद्ध विषयों का
उपबंध करने के लिए
अधिनियम
भारत गणराज्य के अठारहवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
1. संक्षिप्त नाम और विस्तार-(1) यह अधिनियम पासपोर्ट अधिनियम, 1967 कहा जा सकेगा ।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है और यह भारत के उन नागरिकों को भी लागू है जो भारत से बाहर हैं ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) व्याकरणिक रूपभेदों और सजातीय पदों सहित प्रस्थान" से जल, भूमि या वायु द्वारा भारत से प्रस्थान अभिप्रेत है ;
(ख) पासपोर्ट" से इस अधिनियम के अधीन जारी किया गया या जारी किया गया समझा जाने वाला पासपोर्ट अभिप्रेत है ;
(ग) पासपोर्ट प्राधिकारी" से ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी अभिप्रेत है जिसे पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने के लिए उन नियमों के अधीन सशक्त किया गया हो जो इस अधिनियम के अधीन बनाए जाएं और इसके अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार भी है ;
(घ) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;
(ङ) यात्रा-दस्तावेज" से इस अधिनियम के अधीन जारी की गई या जारी की गई समझी जाने वाली यात्रा-दस्तावेजें अभिप्रेत हैं ।
3. भारत से प्रस्थान के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज-कोई भी व्यक्ति, जब तक उसके पास इस निमित्त कोई विधिमान्य पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज न हो, न भारत से प्रस्थान करेगा और न प्रस्थान करने का प्रयत्न करेगा ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजन के लिए,-
(क) पासपोर्ट" के अन्तर्गत ऐसा पासपोर्ट भी है जो किसी विदेश की सरकार द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन जारी किया जाकर पासपोर्टों के उस वर्ग की बाबत, जिस वर्ग का वह पासपोर्ट है, उन शर्तों को पूरा करता है, जो पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 (1920 का 34) के अधीन विहित हैं ;
(ख) यात्रा-दस्तावेज" के अन्तर्गत वह यात्रा-दस्तावेज भी है जो किसी विदेश की सरकार द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन जारी की जाकर विहित शर्तों को पूरा करती है ।
4. पासपोर्टां और यात्रा-दस्तावेजों के वर्ग-(1) इस अधिनियम के अधीन निम्नलिखित वर्गों के पासपोर्ट जारी किए जा सकेंगे, अर्थात् : -
(क) साधारण पासपोर्ट ;
(ख) शासकीय पासपोर्ट ;
(ग) राजनयिक पासपोर्ट ।
(2) इस अधिनियम के अधीन निम्नलिखित वर्गों की यात्रा-दस्तावेजें जारी की जा सकेंगी, अर्थात् :-
(क) आपात प्रमाणपत्र, जो भारत में प्रवेश करने के लिए किसी व्यक्ति को प्राधिकृत करे ;
(ख) पहचान-पत्र, जो किसी व्यक्ति के पहचाने जाने के प्रयोजनार्थ हो ;
(ग) ऐसा अन्य प्रमाणपत्र या दस्तावेज जिसे विहित किया जाए ।
(3) केन्द्रीय सरकार, अपने द्वारा इस निमित्त अनुसरित प्रथा और पद्धति के अनुकूल, व्यक्तियों के उन वर्गों को विहित करेगी जिन्हें क्रमशः उपधारा (1) और उपधारा (2) में निर्दिष्ट वर्गों के पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजें इस अधिनियम के अधीन जारी की जा सकेंगी ।
5. पासपोर्टों, यात्रा-दस्तावेजों आदि के लिए आवेदन और उन पर आदेश- [(1) ऐसे विदेश या विदेशों के (जो नामित विदेश नहीं हैं), जो आवेदन में विनिर्दिष्ट किए जाएं, परिदर्शन के लिए, इस अधिनियम के अधीन के अधीन पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदन पासपोर्ट प्राधिकारी को किया जा सकेगा और उसके साथ [ऐसी फीस दी जाएगी जो पासपोर्ट और अन्य यात्रा-दस्तावेजों को जारी करने में विशेष सुरक्षा कागज, मुद्रण पटलन और अन्य संबंधित प्रकीर्ण सेवाओं पर उपगत व्यय की पूर्ति के लिए, विहित की जाए ।]
स्पष्टीकरण-इस धारा में, नामित विदेश" से ऐसा विदेश अभिप्रेत है, जो केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ।
(1क) कोई आवेदन, जो-
(i) नामित विदेश के परिदर्शन के लिए इस अधिनियम के अधीन पासपोर्ट जारी करने के लिए हो ; या
(ii) ऐसे विदेश या विदेशों के (जिनके अन्तर्गत नामित विदेश भी है) जो आवेदन में विनिर्दिष्ट किए जाएं या इस धारा में निर्दिष्ट पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन के लिए इस अधिनियम के अधीन, यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए हो,
पासपोर्ट प्राधिकारी को किया जा सकेगा और उसके साथ पचास रुपए से अनधिक उतनी फीस (यदि कोई हो) होगी, जो विहित की जाए ।
(1ख) इस धारा के अधीन प्रत्येक आवेदन ऐसे प्ररूप में होगा और उसमें ऐसी विशिष्टियां होंगी, जो विहित की जाएं ।]
(2) [इस धारा के अधीन] आवेदन की प्राप्ति पर, पासपोर्ट प्राधिकारी, ऐसी जांच, यदि कोई हो, जिसे वह आवश्यक समझे, करने के पश्चात्, इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, लिखित आदेश द्वारा,-
(क) आवेदन में विनिर्दिष्ट विदेश या विदेशों की बाबत, यथास्थिति, पृष्ठांकन सहित पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करेगा या, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन करेगा; अथवा
(ख) आवेदन में विनिर्दिष्ट एक या अधिक विदेशों की बाबत, यथास्थिति, पृष्ठांकन सहित पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करेगा या, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन करेगा और अन्य विदेश या विदेशों की बाबत पृष्ठांकन करने से इन्कार करेगा; अथवा
(ग) यथास्थिति, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने से या, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर कोई पृष्ठांकन करने से इन्कार करेगा ।
(3) जहां पासपोर्ट प्राधिकारी किसी व्यक्ति के आवेदन पर उपधारा (2) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन कोई आदेश करे वहां वह ऐसा आदेश करने के अपने कारणों का संक्षिप्त कथन लेखबद्ध करेगा और मांगे जाने पर उस व्यक्ति को उसकी एक प्रति तब के सिवाय देगा जब किसी मामले में पासपोर्ट प्राधिकारी की यह राय हो कि ऐसी प्रति देना भारत की प्रभुता और अखण्डता, भारत की सुरक्षा या किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में या जन-साधारण के हित में न होगा ।
6. पासपोर्ट यात्रा-दस्तावेज, आदि देने से इन्कार-(1) इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि पासपोर्ट प्राधिकारी किसी विदेश के परिदर्शन के लिए पृष्ठांकन करने से धारा 5 की उपधारा (2) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन इन्कार निम्नलिखित एक या अधिक आधारों पर ही करेगा, न कि अन्य किसी आधार, पर अर्थात् :-
(क) आवेदन ऐसे देश में ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना संभाव्य है जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हों ;
(ख) ऐसे देश में आवेदक की उपस्थिति भारत की सुरक्षा के लिए अहितकर हो सकती है या होनी सम्भाव्य है ;
(ग) ऐसे देश में आवेदक की उपस्थिति से उस या किसी अन्य देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना सम्भाव्य है ;
(घ) आवेदक की ऐसे देश में उपस्थिति केन्द्रीय सरकार की राय में लोकहित में नहीं है ।
(2) इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि पासपोर्ट प्राधिकारी किसी विदेश के परिदर्शन के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने से धारा 5 की उपधारा (2) के खण्ड (ग) के अधीन निम्नलिखित एक या अधिक आधारों पर ही इन्कार करेगा, न कि अन्य किसी आधार पर, अर्थात् :-
(क) आवेदक भारत का नागरिक नहीं है ;
(ख) आवेदक भारत से बाहर ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना सम्भाव्य है जो भारत की प्रभुता और अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हों ;
(ग) आवेदक का भारत से प्रस्थान भारत की सुरक्षा के लिए अहितकर हो सकता है या होना सम्भाव्य है ;
(घ) आवेदक की भारत से बाहर उपस्थिति से किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना सम्भाव्य है ;
(ङ) आवेदक, अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले की पांच वर्ष की कालावधि के दौरान किसी भी समय भारत में के किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता अंतर्वलित करने वाले किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है और उसकी बाबत दो वर्ष से अन्यून के कारावास से दण्डादिष्ट किया गया है ;
(च) किसी ऐसे अपराध की बाबत, जिसका आवेदक द्वारा किया जाना अभिकथित है, कार्यवाहियां भारत में किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष लम्बित हैं ;
(छ) आवेदक की हाजिरी के लिए कोई वारण्ट या समन, या उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारण्ट, किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन किसी न्यायालय द्वारा जारी किया गया है या आवेदक का भारत से प्रस्थान प्रतिषिद्ध करने का कोई आदेश ऐसे किसी न्यायालय द्वारा किया गया है ;
(ज) आवेदक संप्रत्यावर्तित किया जा चुका है और उसने उस व्यय की प्रतिपूर्ति नहीं की है जो ऐसे संप्रत्यावर्तन के सम्बन्ध में उपगत हुआ ;
(झ) आवेदक को पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करना केन्द्रीय सरकार की राय में लोकहित में न होगा ।
7. पासपोर्टों और यात्रा-दस्तावेजों की अस्तित्वावधि-कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज, जब तक उसे पहले ही प्रतिसंहृत न कर लिया जाए, उतनी कालावधि के लिए प्रवृत्त रहेगा जितनी विहित की जाए, और पासपोर्टों या यात्रा-दस्तावेजों के विभिन्न वर्गों के लिए अथवा ऐसे प्रत्येक वर्ग के पासपोर्टों या यात्रा-दस्तावेजों के विभिन्न प्रवर्गों के लिए विभिन्न कालावधियां विहित की जा सकेंगी :
परन्तु पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज विहित कालावधि से कम के लिए भी जारी की जा सकेंगी,-
(क) यदि वह व्यक्ति, जिसके द्वारा वह अपेक्षित हो, वैसा चाहे ; अथवा
(ख) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी, ऐसे कारणों से, जो आवेदक को लिखित रूप में संसूचित किए जाएंगे, किसी मामले में यह समझे कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज किसी कम कालावधि के लिए जारी की जानी चाहिए ।
[8. पासपोर्ट की अवधि का विस्तारण-जहां कोई पासपोर्ट धारा 7 के अधीन विहित अवधि से लघुतर अवधि के लिए जारी किया जाता है, वहां ऐसी लघुतर अवधि का तब के सिवाय जब पासपोर्ट प्राधिकारी, ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, किसी मामले में अन्यथा अवधारित करे, उतनी अतिरिक्त अवधि के लिए (जो उस लघुतर अवधि को मिलाकर विहित अवधि से अधिक नहीं होगी) विस्तार किया जा सकेगा और इस अधिनियम के उपबन्ध ऐसे विस्तारण को वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उसके जारी किए जाने को लागू होते हैं ।]
9. पासपोर्टों और यात्रा-दस्तावेजों की शर्तें और प्ररूप-वे शर्तें जिनके अध्यधीन और वह प्ररूप जिसमें पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेजें जारी और नवीकृत की जाएंगी, वे होंगे जो विहित किए जाएं :
परन्तु पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेजों के विभिन्न वर्गों के लिए अथवा ऐसे प्रत्येक वर्ग के पासपोर्टों या यात्रा-दस्तावेजों के विभिन्न प्रवर्गों के लिए विभिन्न शर्तें और विभिन्न प्ररूप विहित किए जा सकेंगे :
परन्तु यह और कि किसी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में विहित शर्तों के अतिरिक्त अन्य ऐसी शर्तें हो सकेंगी, जिन्हें पासपोर्ट प्राधिकारी केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, किसी विशिष्ट मामले में अधिरोपित करे ।
10. पासपोर्टों और यात्रा-दस्तावेजों में फेरफार, उनका परिबद्ध किया जाना और प्रतिसंहरण-(1) पासपोर्ट प्राधिकारी, धारा 6 की उपधारा (1) के उपबन्धों को या धारा 19 के अधीन की किसी अधिसूचना को ध्यान में रखते हुए, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में किए गए पृष्ठांकनों में फेरफार कर सकेगा या उन्हें रद्द कर सकेगा या केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से (विहित शर्तों से भिन्न) उन शर्तों में, जिनके अध्यधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी की गई हो, फेरफार कर सकेगा या उन्हें रद्द कर सकेगा, और उस प्रयोजन के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक से लिखित सूचना द्वारा अपेक्षा कर सकेगा कि वह उसे पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज ऐसे समय के भीतर समर्पित कर दे जो सूचना में विनिर्दिष्ट हो और धारक ऐसी सूचना का अनुपालन करेगा ।
(2) पासपोर्ट प्राधिकारी, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक के आवेदन पर, और केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की (विहित शर्तों से भिन्न) शर्तों में फेरफार, या उन शर्तों को रद्द भी, कर सकेगा ।
(3) पासपोर्ट प्राधिकारी, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को परिबद्ध कर सकेगा या परिबद्ध करा सकेगा या प्रतिसंहृत कर सकेगा,-
(क) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी का समाधान हो जाए कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का धारक उसे सदोष कब्जे में रखे हुए है ;
(ख) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज तात्विक जानकारी को दबाकर अथवा पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक द्वारा अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई गलत जानकारी के आधार पर अभिप्राप्त किया गया था :
[परन्तु यदि ऐसे पासपोर्ट का धारक कोई अन्य पासपोर्ट अभिप्राप्त कर लेता है तो पासपोर्ट प्राधिकारी ऐसे अन्य पासपोर्ट को भी परिबद्ध करेगा या परिबद्ध कराएगा या प्रतिसंहृत करेगा ।]
(ग) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी ऐसा करना भारत की प्रभुता और अखण्डता, भारत की सुरक्षा या किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में या जनसाधारण के हित में आवश्यक समझे ;
(घ) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने के पश्चात् किसी भी समय पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का धारक भारत में के किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता अंतर्वलित करने वाले किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया हो और उसकी बाबत दो वर्ष से अन्यून के कारावास से दण्डदिष्ट किया गया हो ;
(ङ) यदि किसी ऐसे अपराध की बबात, जिसका पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक द्वारा किया जाना अभिकथित हो, कार्यवाहियां भारत में किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष लम्बित हों ;
(च) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की शर्तों में से किसी का उल्लंघन किया गया हो ;
(छ) यदि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का धारक उपधारा (1) के अधीन की उस सूचना का अनुपालन करने में असफल रहा हो जिसमें उससे वह पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज समर्पित करने की अपेक्षा की गई हो ;
(ज) यदि पासपोर्ट प्राधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया हो कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक की हाजिरी के लिए कोई वारण्ट या समन, या उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारण्ट, किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन किसी न्यायालय द्वारा जारी किया गया है या यदि पासपोर्ट या अन्य यात्रा-दस्तावेज के धारक का भारत से प्रस्थान प्रतिषिद्ध करने का कोई आदेश ऐसे किसी न्यायालय द्वारा किया गया हो और पासपोर्ट प्राधिकारी का समाधान हो गया हो कि वारण्ट या समन इस प्रकार जारी किया गया है या कोई आदेश इस प्रकार किया गया है ।
(4) पासपोर्ट प्राधिकारी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को उसके धारक के आवेदन पर भी प्रतिसंहृत कर सकेगा ।
(5) जहां पासपोर्ट प्राधिकारी उपधारा (1) के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर के पृष्ठांकनों में फेरफार करने या उन्हें रद्द करने या उसकी शर्तों में फेरफार करने का कोई आदेश या पासपोर्ट को उपधारा (3) के अधीन परिबद्ध करने या प्रतिसंहृत करने का कोई आदेश करे वहां वह ऐसा आदेश करने के कारणों का संक्षिप्त कथन लेखबद्ध करेगा और मांगे जाने पर पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक को, उसकी एक प्रति तब के सिवाय देगा जब किसी मामले में पासपोर्ट प्राधिकारी की यह राय हो कि ऐसी प्रति देना भारत की प्रभुता और अखण्डता, भारत की सुरक्षा या किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के हित में या जनसाधारण के हित में न होगा ।
(6) वह प्राधिकारी, जिसके अधीनस्थ पासपोर्ट प्राधिकारी हो, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को किसी भी ऐसे आधार पर, जिस पर उसे पासपोर्ट प्राधिकारी द्वारा परिबद्ध या प्रतिसंहृत किया जा सकता है, लिखित आदेश द्वारा परिबद्ध कर या करा सकेगा या प्रतिसंहृत कर सकेगा और ऐसे प्राधिकारी द्वारा पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज परिबद्ध या प्रतिसंहृत किए जाने के सम्बन्ध में इस अधिनियम के पूर्वगामी उपबन्ध यावत्शक्य लागू होंगे ।
(7) पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के धारक को इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराने वाला न्यायालय उस पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को प्रतिसंहृत भी कर सकेगा:
परंतु यदि अपील पर या अन्यथा वह दोषसिद्धि अपास्त की जाए तो वह प्रतिसंहरण शून्य हो जाएगा ।
(8) उपधारा (7) के अधीन प्रतिसंहरण का आदेश अपील न्यायालय द्वारा, या उच्च न्यायालय द्वारा भी पुनरीक्षण की शक्तियों के प्रयोग में किया जा सकेगा ।
(9) इस धारा के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के प्रतिसंहरण पर उसका धारक उस पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को, यदि उसे पहले ही परिबद्ध न कर लिया गया हो तो, अविलम्ब उस प्राधिकारी को, जिसके द्वारा उसे प्रतिसंहृत किया गया हो, या ऐसे अन्य प्राधिकारी को, जिसे प्रतिसंहरण के आदेश में इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया गया हो, अभ्यर्पित करेगा ।
[10क. पासपोर्टों या यात्रा-दस्तावेजों का कतिपय दशाओं में निलंबन-(1) धारा 10 में अंतर्विष्ट उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि केन्द्रीय सरकार या किसी अभिहित अधिकारी का यह समाधान हो जाता है कि धारा 10 की उपधारा (3) के खंड (ग) के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को परिबद्ध किए जाने या परिबद्ध कराए जाने या प्रतिसंहृत किए जाने की संभावना है और ऐसा करना लोक हित में आवश्यक है तो वह चार सप्ताह से अनधिक की अवधि के लिए, -
(क) आदेश द्वारा, किसी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को तुरन्त प्रभावी रूप से निलंबित कर सकेगी या कर सकेगा;
(ख) ऐसा अन्य समुचित आदेश पारित कर सकेगी या कर सकेगा जिसके प्रभाव से कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज अविधिमान्य हो जाएगा:
परन्तु केन्द्रीय सरकार या अभिहित अधिकारी, यदि वह समुचित समझे तो आदेश द्वारा और उन कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएंगे, चार सप्ताह की उक्त अवधि को धारा 10 के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में फेरफार या उसके परिबद्धकरण या प्रतिसंहरण से संबंधित कार्यवाहियों के समाप्त होने तक बढ़ा सकेगी या सकेगा:
परन्तु यह और कि पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के ऐसे प्रत्येक धारक को, जिसकी बाबत इस उपधारा के खंड (क) या खंड (ख) के अधीन कोई आदेश पारित किया गया था, ऐसे आदेश के पारित किए जाने की तारीख से संगणित आठ सप्ताह से अपश्चात् की अवधि के भीतर सुने जाने का अवसर दिया जाएगा और तब केन्द्रीय सरकार, यदि आवश्यक हो तो लिखित आदेश द्वारा, इस उपधारा के अधीन पारित आदेश को उपांतरित या प्रतिसंहृत कर सकेगी ।
(2) अभिहित अधिकारी, उपधारा (1) के अधीन पारित आदेशों की, किसी विमान पत्तन पर या पोतारोहण या आप्रवास के किसी अन्य स्थान पर, संबद्ध प्राधिकारी को और पासपोर्ट प्राधिकारी को तुरन्त संसूचना देगा ।
(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट प्रत्येक प्राधिकारी, उपधारा (1) के अधीन पारित किए गए आदेश के प्राप्त होते ही ऐसे आदेश को तुरन्त प्रभावी करेगा ।
10ख. प्रज्ञापना का विधिमान्यकरण-केन्द्रीय सरकार या अभिहित अधिकारी द्वारा, पासपोर्ट (संशोधन) अधिनियम, 2002 के प्रारंभ के पूर्व किसी विमान पत्तन पर या पोतारोहण या आप्रवास के किसी अन्य स्थान पर किसी आप्रवास प्राधिकारी को धारा 10 की उपधारा (3) के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के किसी धारक के भारत से प्रस्थान को निर्बंधित या किसी भी रीति से प्रतिषिद्ध करते हुए दी गई प्रत्येक प्रज्ञापना धारा 10क की उपधारा (1) के अधीन आदेश समझी जाएगी और ऐसा आदेश पासपोर्ट (संशोधन) अधिनियम, 2002 के प्रारंभ की तारीख से या ऐसी प्रज्ञापना देने की तारीख से, जो भी पश्चात्वर्ती हो, तीन मास की अवधि के लिए प्रवृत्त बना रहेगा ।
स्पष्टीकरण-धारा 10क और धारा 10ख के प्रयोजनों के लिए अभिहित अधिकारी" पद से केन्द्रीय सरकार द्वारा लिखित आदेश द्वारा, उस रूप में अभिहित अधिकारी या प्राधिकारी अभिप्रेत है ।]
11. अपीलें-(1) धारा 5 की उपधारा (2) के खंड (ख) या खंड (ग) अथवा धारा 7 के परन्तुक के खंड (ख) अथवा धारा 10 की उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन पासपोर्ट प्राधिकारी के आदेश से या धारा 10 की उपधारा (6) के अधीन उस प्राधिकारी के आदेश से, जिसके अधीनस्थ पासपोर्ट प्राधिकारी हो, व्यथित कोई भी व्यक्ति, उस आदेश के विरुद्ध अपील उस प्राधिकारी से (जिसे इसमें इसके पश्चात् अपील प्राधिकारी कहा गया है) उस कालावधि के भीतर, जिसे विहित किया जाए, कर सकेगा :
परन्तु केन्द्रीय सरकार द्वारा किए गए किसी भी आदेश के विरुद्ध कोई अपील न होगी ।
(2) कोई भी अपील, यदि वह उसके लिए विहित कालावधि के अवसान के पश्चात् की जाए तो, ग्रहण नहीं की जाएगी:
परन्तु यदि अपीलार्थी अपील प्राधिकारी का यह समाधान कर दे कि उस कालावधि के भीतर अपील न करने का उसके पास पर्याप्त कारण था तो अपील उसके लिए विहित कालावधि के अवसान के पश्चात् ग्रहण की जा सकेगी ।
(3) अपील के लिए विहित कालावधि की संगणना परिसीमा अधिनियम, 1963 (1963 का 36) के उन उपबंधों के अनुसार की जाएगी जो उसके अधीन परिसीमा कालावधियों की संगणना करने के बारे में है ।
(4) इस धारा के अधीन प्रत्येक अपील लिखित अर्जी द्वारा की जाएगी और उसके साथ उस आदेश के, जिसके विरुद्ध अपील की गई हो, कारणों के कथन की एक प्रति, यदि ऐसी प्रति अपीलार्थी को दी गई हो तो और [ऐसी फीस जो ऐसे व्ययों की पूर्ति के लिए विहित की जाए, जो सुसंगत अभिलेख मंगाने पर और संबंधित सेवाओं पर उपगत किए जाएं ।]
(5) अपील का निपटारा करने में अपील प्राधिकारी ऐसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा जो विहित की जाए:
परन्तु जब तक अपीलार्थी को अपने मामले का अभ्यावेदन करने का युक्तियुक्त अवसर न दे दिया हो जब तक किसी भी अपील का निपटारा नहीं किया जाएगा ।
(6) जिस आदेश के विरुद्ध अपील की गई हो उसे पुष्ट करने, उपान्तरित करने या उलट देने का अपील प्राधिकारी का प्रत्येक आदेश अन्तिम होगा ।
12. अपराध और शास्तियां-(1) जो कोई-
(क) धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करेगा; अथवा
(ख) इस अधिनियम के अधीन कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज अभिप्राप्त करने की दृष्टि से, जानते हुए, कोई मिथ्या जानकारी देगा या कोई तात्विक जानकारी दबाएगा या किसी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज में की गई प्रविष्टियों में विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना कोई परिवर्तन करेगा या परिवर्तन करने का प्रयत्न करेगा या परिवर्तन कराएगा; अथवा
(ग) अपना पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज (चाहे उसे इस अधिनियम के अधीन जारी किया गया हो या नहीं) निरीक्षण के लिए पेश करने में, जब विहित प्राधिकारी उससे ऐसा करने की अपेक्षा करे, असफल रहेगा; अथवा
(घ) किसी अन्य व्यक्ति को जारी किए गए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज को जानते हुए उपयोग में लाएगा; अथवा
(ङ) अपने को जारी किए गए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का उपयोग, जानते हुए, किसी दूसरे व्यक्ति को करने देगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि [दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा,] या दोनों से दण्डनीय होगा ।
[(1क) जो कोई, जो भारत का नागरिक नहीं है, -
(क) अपनी राष्ट्रीयता के बारे में कोई जानकारी दबाकर किसी पासपोर्ट के लिए आवेदन करेगा या उसे अभिप्राप्त करेगा, या
(ख) कोई कूटरचित पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज धारण करेगा ।
वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्मान से जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु पचास हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।]
(2) जो कोई 1[उपधारा (1) या उपधारा (1क)] के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का दुष्प्रेरण करेगा वह, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप कर दिया जाए तो, उस उपधारा में उस अपराध के लिए उपबंधित दण्ड से दण्डनीय होगा ।
(3) जो कोई पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की किसी शर्त का या इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए किसी नियम के किसी उपबंध का कोई ऐसा उल्लंघन करेगा जिसके लिए इस अधिनियम में अन्यत्र कोई दण्ड उपबंधित नहीं है, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्मान से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
(4) जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया जाकर इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए पुनः सिद्धदोष ठहराया जाएगा वह पश्चात्कथित अपराध के लिए उपबंधित शास्ति की दुगुनी शास्ति से दण्डनीय होगा ।
13. गिरफ्तार करने की शक्ति-(1) सीमाशुल्क का कोई अधिकारी, जिसे केन्द्रीय सरकार के साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया हो, और [पुलिस का कोई आफिसर या उत्प्रवास अधिकारी] जो उप-निरीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो, किसी भी ऐसे व्यक्ति को, जिसके विरुद्ध यह समुचित संदेह हो कि उसने धारा 12 के अधीन दण्डनीय कोई अपराध किया है, वारण्ट के बिना गिरफ्तार कर सकेगा और ऐसी गिरफ्तारी के आधारों की जानकारी उसे यथाशक्य शीघ्र देगा ।
(2) इस धारा के अधीन गिरफ्तारी करने वाला प्रत्येक अधिकारी, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष, जिसे उस मामले में अधिकारिता हो, या निकटतम थाने के भारसाधक आफिसर के समक्ष, अनावश्यक विलंब किए बिना, ले जाएगा या भेजेगा और ऐसी किसी गिरफ्तारी के मामले में [दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 57] के उपबन्ध यावत्शक्य लागू होंगे ।
14. तलाशी और अभिग्रहण की शक्ति-(1) सीमाशुल्क का कोई अधिकारी, जिसे केन्द्रीय सरकार के साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया हो, और 3[पुलिस का कोई आफिसर या उत्प्रवास अधिकारी] जो उप-निरीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो, किसी भी स्थान की तलाशी ले सकेगा और कोई भी पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज किसी ऐसे व्यक्ति से अभिगृहीत कर सकेगा जिसके विरुद्ध यह समुचित संदेह हो कि उसने धारा 12 के अधीन दण्डनीय कोई अपराध किया है ।
(2) [दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2)] के वे उपबन्ध, जो तलाशियों और अभिग्रहणों के संबंध में हैं, इस धारा के अधीन तलाशियों और अभिग्रहणों को यावत्शक्य लागू होंगे ।
15. केन्द्रीय सरकार की पूर्व मंजूरी आवश्यक-किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध की बाबत कोई अभियोजन केन्द्रीय सरकार की या ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी की, जिसे वह सरकार लिखित आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत करे, पूर्व मंजूरी के बिना संस्थित नहीं किया जाएगा ।
16. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए परित्राण-कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही इस अधिनियम के अधीन सद्भावर्पूक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए सरकार या किसी अधिकारी या प्राधिकारी के विरुद्ध नहीं होगी ।
17. पासपोर्टों और यात्रा-दस्तावेजों का केन्द्रीय सरकार की सम्पत्ति होना-इस अधिनियम के अधीन जारी किया गया पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज सदैव केन्द्रीय सरकार की सम्पत्ति रहेगी ।
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19. पासपोर्टों और यात्रा-दस्तावेजों का कुछ देशों में यात्रा के लिए अविधिमान्य होना-केन्द्रीय सरकार द्वारा यह अधिसूचना निकाली जाने पर कि कोई विदेश ऐसा देश है, -
(क) जो भारत के विरुद्ध बाह्य आक्रमण कर रहा है; अथवा
(ख) जो भारत के विरुद्ध बाह्य आक्रमण करने वाले देश की सहायता कर रहा है; अथवा
(ग) जहां सशस्त्र संघर्ष चल रहा है; अथवा
(घ) जहां की यात्रा करना लोक हित में निर्बन्धित किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसी यात्रा से भारत सरकार के वैदेशिक कार्यकलाप के संचालन को गम्भीर नुकसान पहुंचेगा,
ऐसे देश में होकर यात्रा करने अथवा ऐसे देश के परिदर्शन के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज का ऐसी यात्रा या ऐसे परिदर्शन के लिए विधिमान्य रहना समाप्त हो जाएगा जब तक किसी मामले में विहित प्राधिकारी द्वारा उस निमित्त विशेष पृष्ठांकन विहित प्ररूप में न कर दिया गया है ।
20. पासपोर्टों और यात्रा-दस्तावेजों का ऐसे व्यक्तियों को, जो भारत के नागरिक नहीं हैं जारी किया जाना-पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के जारी किए जाने के संबंध में पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार ऐसे व्यक्ति को, जो भारत का नागिरक न हो, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी कर या करवा सकेगी यदि उस सरकार की यह राय हो कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक है ।
21. प्रत्यायोजित करने की शक्ति-केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, यह निदेश दे सकेगी कि धारा 6 की उपधारा (1) के खण्ड (घ) के अधीन की शक्ति से या उस धारा की उपधारा (2) के खण्ड (झ) के अधीन की शक्ति से या धारा 24 के अधीन की शक्ति से भिन्न किसी भी शक्ति या कृत्य का, जिसका प्रयोग या पालन इस अधिनियम के अधीन उसके द्वारा किया जा सकता है, ऐसे विषयों के संबंध में और ऐसी शर्तों के, यदि कोई हों, अध्यधीन रहते हुए, जिन्हें वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे,-
(क) केन्द्रीय सरकार के अधीनस्थ उस आधिकारी या उस प्राधिकारी द्वारा, अथवा
(ख) किसी राज्य सरकार द्वारा या ऐसी सरकार के अधीनस्थ किसी अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा, अथवा
(ग) ऐसे विदेश में, जिसमें भारत का कोई राजनयिक मिशन नहीं है, उस कौन्सलीय आफिसर द्वारा,
जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, प्रयोग या पालन किया जा सकेगा ।
22. छूट देने की शक्ति-जहां केन्द्रीय सरकार की यह राय हो कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक या समीचीन है, वहां वह, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, और ऐसी शर्तों के, यदि कोई हों, अध्यधीन रहते हुए, जिन्हें वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, -
(क) किसी भी व्यक्ति को या व्यक्तियों के वर्ग को इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए नियमों के सभी या किन्हीं उपबन्धों के प्रवर्तन से छूट दे सकेगी; तथा
(ख) ऐसी किसी भी अधिसूचना को कितनी ही बार रद्द कर सकेगी और वैसी ही अधिसूचना द्वारा उस व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग को पुनः ऐसे उपबन्धों के प्रवर्तन के अध्यधीन कर सकेगी ।
23. अधिनियम का कुछ अधिनियमितियों के अतिरिक्त होना-इस अधिनियम के उपबन्ध पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 (1920 का 34) [उत्प्रवास अधिनियम, 1983 (1983 का 31)], विदेशियों का रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1939 (1939 का 16), विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 (1946 का 31) ॥। शत्रु से व्यापार (आपात उपबन्धों का चालू रहना) अधिनियम, 1947 (1947 का 16), विदेशियों विषयक विधि (लागू होना और संशोधन) अधिनियम, 1962 (1962 का 42) [विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (1973 का 46)ट तथा विदेशियों और विदेशी मुद्रा संबंधी, अन्य अधिनियमितियों के उपबन्धों के अतिरिक्त होंगे, न कि उनके अल्पीकरण में ।
24. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी विषयों के लिए या उनमें से किसी के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) पासपोर्ट प्राधिकारियों की नियुक्ति, अधिकारिता, नियंत्रण और कृत्य;
(ख) व्यक्तियों के वे वर्ग जिन्हें क्रमशः धारा 4 की उपधारा (1) और उपधारा (2) में निर्दिष्ट पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजें जारी की जा सकेंगी;
(ग) पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने या नवीकृत करने अथवा पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर पृष्ठांकन करने के लिए आवेदन का प्ररूप और विशिष्टियां और जहां आवेदन नवीकरण के लिए हो वहां वह समय जिसके भीतर वह आवेदन किया जाएगा;
(घ) वह कालावधि जिसके लिए पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावजें प्रवृत्त बनी रहेंगी;
(ङ) वह प्ररूप जिसमें और वे शर्तें जिनके अध्यधीन विभिन्न वर्गों के पासपोर्ट और यात्रा-दस्तावेजें जारी या नवीकृत की जा सकेंगी, या उनमें फेरफार किया जा सकेगा;
[(ङङ) धारा 5 की उपधारा (1) के स्पष्टीकरण के प्रयोजनों के लिए विदेश विनिर्दिष्ट करना;]
(च) [धारा 5 की उपधारा (1) के अधीन पासपोर्ट जारी करने या धारा 5 की उपधारा (1क) में निर्दिष्ट विदेश का परिदर्शन करने के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने या पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज पर किए गए किसी पृष्ठांकन में फेरफार करने या उस पर नया पृष्ठांकन करने के किसी आवेदन की बाबतट देय फीसें और इस अधिनियम के अधीन किसी अपील की बाबत देय फीसें;
(छ) धारा 11 की उपधारा (1) के अधीन अपील प्राधिकारियों की नियुक्ति और ऐसे प्राधिकारियों की अधिकारिता और वह प्रक्रिया जिसका उनके द्वारा अनुसरण किया जाए;
(ज) वे सेवाएं (जिनके अन्तर्गत ऐसे पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के बदले में, जो खो गई हैं, क्षतिग्रस्त हो गई हैं, या नष्ट हो गई हैं, पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज की दूसरी प्रति का जारी किया जाना भी है) जो पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के संबंध में की जा सकेंगी और उनके लिए फीसें;
(झ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए अथवा जिसकी बाबत यह अधिनियम कोई उपबन्ध नहीं करता है या अपर्याप्त उपबन्ध करता है और ऐसे उपबन्ध का किया जाना इस अधिनियम को उचित रूप से कार्यान्वित करने के लिए केन्द्रीय सरकार की राय में आवश्यक हो ।
[(3) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।]
25. 1920 के अधिनियम 34 के संक्षिप्त नाम का परिवर्तन-भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1920 में धारा 1 की उपधारा (1) में भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1920" शब्दों और अंकों के स्थान पर पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920" शब्द, कोष्ठक और अंक प्रतिस्थापित किए जाएंगे ।
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27. निरसन और व्यावृत्ति-(1) पासपोर्ट अध्यादेश, 1967 (1967 का 4) एतद्द्वारा निरसित किया जाता है ।
(2) ऐसे निरसन के होते हुए भी यह है कि उक्त अध्यादेश के अधीन की गई या की गई तात्पर्यित कोई बात या कार्रवाई इस अधिनियम के अधीन उसी प्रकार की गई समझी जाएगी मानो यह अधिनियम मई, 1967 के पांचवें दिन प्रारम्भ हो गया था ।
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