अपराध की विभिन्न अवस्थायें || Different Stages Of a Crime || Law's Study 📖
अपराध की विभिन्न अवस्थायें || Different Stages Of a Crime
अपराध की विभिन्न अवस्थायें || Different Stages Of a Crime
अपराध की विभिन्न अवस्थायें कौन सी हैं ? क्या भारतीय दण्ड संहिता में अपराध की तैयारी दण्डनीय है ? यदि हाँ , तो वे कौन से अपराध हैं ?
[ What are the different stages of a crime ? Is preparation to commit an offence punishable under Indian Penal Code ? If so , what are those offences ? ]
अथवा
" कोई अभियुक्त जो किसी अपराध को करने की तैयारी मात्र करता है , उसके लिए उत्तरदायी नहीं होता , परन्तु यदि वह अपराध करने का प्रयत्न करता है तो उत्तरदायी होता है । " दृष्टान्त सहित व्याख्या कीजिये । भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत इस नियम के अपवाद भी बताइये ।
[ " An accused is not liable for a crime if he only prepares to commit it , but he is liable if attempts its commission . " Discuss with illustrations . Also state the exceptions to this under the Indian Penal Code . ]
अथवा
किन मामलों में केवल " तैयारी ' भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय है ? [ In What cases mere preparation is punishable under the Indian Penal Code . ]
अथवा
अपराधकृति की कौन - कौन सी अवस्थायें है ? तैयारी कब दण्डनीय है ? ( " What are the different stages in the commission of crime ? When is preparation punishable ? ] -
अपराध से अभिप्राय है- " ऐसा कृत्यो भारतीय दण्ड संहिता या यथा परिभाषित विशेष या स्थानीय विधि के अन्तर्गत दण्ड़नीय हो । कोई भी कृत्य एकदम दण्डनीय नहीं हो जाता । उसे दण्डनीय होने के लिए अनेक अवस्थाओं ( Stages ) से गुजरना होता है । इसे ही हम अपराध की विभिन्न अवस्थायें , स्तर या प्रक्रम कहते है । अपराध की निम्नांकित अवस्थायें हैं
( 1 ) आशय
अपराध की पहली अवस्था है- ' आशय ' ( Intention ) । कोई भी कार्य या अपराध बिना आशय के कारित नहीं किया जा सकता । प्रत्येक कार्य के पीछे व्यक्ति के मन में कुछ न कुछ भावनायें अवश्य छिपी रहती हैं । इसी को हम ' आशय ' ( intention ) कहते हैं । जब भी कोई व्यक्ति अपराध की ओर प्रवृत्त होता है ; सर्वप्रथम उसके मन में ऐसा करने की भावना जागृत होती है । उदाहरणार्थ ' क ' ' ख ' की हत्या करने की योजना बनाता है ; यहाँ ' क ' का आशय ' ख ' की हत्या करने का है । फिर आशय का भी दुराशय होना आवश्यक है ।
लेकिन यहाँ यह उल्लेखनीय है कि केवल आशय मात्र दण्डनीय नहीं है अर्थात् अपराध की पहली अवस्था को दण्डनीय नहीं माना गया है । केवल अपराध कारित करने का विचार करना या मन में विचार आना मात्र दण्डनीय नहीं है ।
ओमप्रकाश ( ए.आई.आर. 1961 एस.सी.सी. 1782 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि आशय अपराध कारित करने की प्रथम अवस्था है । आशय की अभिव्यक्ति किसी न किसी कार्य में होनी आवश्यक है तभी अपराध का गठन होता है ।
अपवाद
लेकिन इसका भी एक अपवाद है । भारतीय दण्ड संहिता , 1860 की धारा 120 क एवं 120 ख के अन्तर्गत ' आपराधिक षड्यन्त्र ' ( Criminal Conspiracy ) को दण्डनीय अपराध माना गया है । इसमें केवल कोई अपराध कारित करने की योजना बनाई जाती है अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्ति कोई अवैध कार्य या वैध कार्य अवैध साधनों द्वारा करने के लिए सहमत होते हैं । उनका केवल आशय मात्र होता है । ऐसी योजना के अनुरूप कार्य किया जाना आवश्यक नहीं है ।
( 2 ) तैयारी
अपराध की दूसरी अवस्था ' तैयारी ' ( Prepartion ) है । जिस प्रकार आ के बिना कोई अपराध कारित नहीं किया जा सकता है , उसी प्रकार तैयारी के बिना भी । कोई अपराध कारित नहीं किया जा सकता है । तैयारी आशय के बाद की अवस्था है । व्यक्ति अपराध कारित करने का आशय बनाकर उसकी तैयारी में जुट जाता है । इसीलिये यह कहा जाता है कि - " अपराध कारित करने के लिए साधनों को संग्रहीत करना तैयारी है । "
उदाहरणार्थ-
' क ' ' ख ' की हत्या करना चाहता है या ' ख ' के में चोरी करना चाहता है और इसी आशय से ' क ' विप की व्यवस्था करता है या अस्त्र - शस्त्र एकत्रित करता है या गृह भेदन के उपकरण जुटाता है , यह तैयारी है ।
लेकिन यहाँ यह उल्लेखनीय है कि तैयारी मात्र अपराध नहीं है । तैयारी को कार्य रूप में परिणित किया जाना आवश्यक है ।
इस सम्बन्ध में ' रामक्का ' ( 1884 ) 8 चेन्नई 5 का एक अच्छा मामला है । ` इसमें एक महिला आत्महत्या करने के लिए कुएँ की तरफ दौड़ती है लेकिन उसे बीच में ही रोक लिया जाता है । इसे आत्महत्या का प्रयास नहीं मानकर मात्र आशय व तैयारी माना गया ।
अपवाद
यद्यपि सामान्य नियम के रूप में ' तैयारी ' ( Preparation ) मात्र को अपराध नहीं माना गया है । लेकिन इस सामान्य नियम के भी कुछ अपवाद हैं । भारतीय दण्डं संहिता , 1860 के अन्तर्गत निम्नांकित तैयारियों को दण्डनीय अपराध माना गया है
( 1 )भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने की तैयारी ( धारा 122 ) ;
( 2 ) भारत सरकार के साथ शान्तिपूर्ण सम्बन्ध रखने वाले राष्ट्र के साथ लूटपाट करने की तैयारी ; ( धारा 126 ) ;
( 3 ) डकैती करने की तैयारी करना ( धारा 399 ) आदि ।
' मधुसूदन सेन गुप्ता ' ( ए.आई.आर. 1958 कोलकाता 25 ) के मामले में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि डकैती करने के लिए गिरोह बनाना तैयारी है और य दण्डनीय अपराध है ।
लेकिन ' स्टेट ऑफ उत्तरप्रदेश बनाम ओम प्रकाश ' ( 1960 ए . एल . जे . 277 ) के मामले में यह कहा गया है कि ऐसी तैयारी का उद्देश्य डकैती करने का होना आवश्यक है ।
( 3 ) प्रयत्न
प्रयत्न जिसे ' प्रयास ' ( Attempt ) भी कहा जाता है , अपराध की तीसरी अवस्था है । यह एक महत्त्वपूर्ण अवस्था है और इसे दण्डनीय अपराध माना गया है । आशय एवं तैयारी से व्यक्ति अपराध करने के लिए उत्प्रेरित होता है । वह प्रयत्न ही है जो अपराध को पूर्णता की ओर ले जाता है ।
इस सम्बन्ध में ' अमन कुमार बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा ' ( ए.आई.आर. 2004 एस.सी. 1497 ) का एक अच्छा मामला है । इसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि प्रयत्न से अभिप्राय ऐसे कार्य से है जिसे यदि नहीं रोका जाये तो वह उस कार्य को पूर्णता तक पहुंचा देता है । ( Attempt means an act which if not prevented would have resulted in full consummation of act attempted . )
' अभयानन्द बनाम स्टेट ' ( ए.आई.आर. 1961 एस.सी. 1698 ) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि- " तैयारी पूर्ण होने के पश्चात् प्रयत्न प्रारम्भ होता है और किसी कृत्य का किया जाना अपराध के निमित्त अगला कदम ।
प्रयत्न को हम एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं । ' क ' चोरी करने के आशय से ' ख ' की जेब में हाथ डालता है लेकिन जेब में कुछ नहीं मिलता । इसी प्रकार चोरी करने की नीयत से ' क ' ' ख ' के सन्दूक का ताला तोड़ता है लेकिन सन्दूक में कुछ नहीं मिलता । यह चोरी करने का प्रयत्न है और दण्डनीय अपराध है ।
' स्टेट ऑफ महाराष्ट्र बनाम राजेन्द्र जवानमल गाँधी ' ( ए.आई.आर. 1997 • एस . सी . 3986 ) के मामले में एक बारह वर्षीय बालिका को निर्वस्त्र कर उसकी योनि पर लिंग रगड़ने को बलात्कार का प्रयत्न माना गया ।
इसी प्रकार का एक और प्रकरण ' मदनलाल बनाम स्टेट ऑफ जम्मू कश्मीर ' ( ए.आई.आर. 1998 एस . सी . 386 ) का है । इसमें भी विद्यालय की एक बालिका को निर्वस्त्र कर प्रधानाध्यापक द्वारा उसकी योनि पर लिंग रगड़ने तथा वीर्यपात हो जाने को बलात्कार का प्रयत्न माना गया है ।
भारतीय दण्ड संहिता में निम्नांकित प्रयत्नों को पृथक् तौर पर दण्डनीय अपराध माना गया है ।
( 1 )भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करने का प्रयत्न करना ;
( 2 )किसी अपराधी को दण्ड से बचाने के लिए उपहार आदि अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करना ( धारा 213 ) ;
( 3 ) किसी व्यक्ति को कूटकृत सिक्का लेने के लिए उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करना ( धारा 39 ) ;
( 4 )हत्या करने का प्रयत्न करना ( धारा 307 ) ;
( 5 ) आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न करना ( धारा 308 ) ;
( 6 )आत्महत्या करने का प्रयत्न करना ( धारा 309 ) ;
( 7 ) लूट या डकैती का प्रयत्न करना ( धारा 393 , 397 एवं 398 ) ;
( 8 ) रात्रि प्रच्छन्न गृह अतिचार या रात्रि गृह भेदन करते समय किसी व्यक्ति की मृत्यु या घोर उपहति कारित करने का प्रयत्न करना , ( धारा 460 ) आदि ।
इसके अलावा अन्य सभी ' प्रयत्नों ' ( Attempts ) को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 511 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध माना गया है । इसमें यह कहा गया है कि “ जो कोई इस संहिता द्वारा आजीवन कारावास से या कारावास से दण्डनीय अपराध करने का या ऐसे अपराध कारित किये जाने का प्रयत्न करेगा और ऐसे प्रयत्न में अपराध करने की दिशा में कोई कार्य करेगा , जहाँ कि ऐसे प्रयत्न के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबन्ध इस संहिता द्वारा नहीं किया गया है , वहाँ वह उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भाँति के कारावास से उस अवधि के लिए , जो यथास्थिति आजीवन कारावास से आधे तक की या उस अपराध के लिए उपबन्धित दीर्घतम अवधि के आधे तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है या दोनों से दण्डित किया जायेगा ।
" इस प्रकार भारतीय दण्ड संहिता में प्रत्येक प्रयत्न को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है ।
तैयारी एवं प्रयत्न में अन्तर
यहाँ तैयारी एवं प्रयत्न के बीच अन्तर को स्पष्ट कर देना समीचीन होगा । तैयारी एवं प्रयत्न में मुख्यतया निम्नांकित अन्तर पाया जाता है
( 1 )' तैयारी ' अपराध की दूसरी अवस्था है , जबकि ' प्रयत्न ' तीसरी अवस्था ।
( 2 ) ' तैयारी ' से अभिप्राय है अपराध कारित करने के साधनों को संग्रहीत करना , जबकि ' प्रयत्न ' से अभिप्राय है अपराध कारित करने की चेष्टा करना ।
( 3 ) तैयारी अपने - आपमें कोई अपराध नहीं है जबकि ' प्रयत्न ' अपने - आप में एक अपराध है ।
( 4 ) कतिपय अपवादों को छोड़कर तैयारी को भारतीय दण्ड संहिता में दण्डनीय अपराध नहीं माना गया है जबकि ' प्रयत्न ' को दण्डनीय अपराध माना गया है ।
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